- केंद्र सरकार नहीं लेती बाजरा, खरीदी गई उपज मध्य प्रदेश में ही खपाना है
भोपाल। समर्थन मूल्य पर बाजरा को 21.50 रुपए में खरीद रही मप्र सरकार इसे एक रुपये किलो में पीडीएस की दुकानों से खपाने की तैयारी कर रही है, क्योंकि धान व गेहूं की तरह केंद्र सरकार बाजरा को राज्य सरकार से नहीं खरीदती। यही कारण है कि मप्र सरकार बाजरा भी पीडीएस दुकानों के जरिए बीपीएल, अंत्योदय व पात्रता सूची वाले परिवारों को बेहद सस्ते दाम में देगी।
किसानों का बाजरा इस बार अब तक के सर्वाधिक भाव में बिक रहा है, इसलिए समर्थन मूल्य पर बाजरा बेचने की होड़ मची हुई है। बाजरा की खरीदी 5 दिसंबर तक तो तय है, इसके बाद भी तारीख बढ़ाई जा सकती है। सरकार का अनुमान है कि इस साल समर्थन मूल्य पर कम से कम एक लाख 50 हजार टन (15 लाख क्विंटल) बाजरा की खरीद होगी। करीब दो साल पहले भी मप्र सरकार ने प्रदेश के 10 जिलों में बाजरा को एक रुपए किलो में बिकवाया था। इस बार बाजरा की खरीदी ज्यादा हुई है और चार से पांच माह बाद होने वाली गेहूं खरीदी के लिए गोदाम खाली करना है, इसलिए इस बार बाजरे को प्रदेश के उन सभी जिलों की पीडीएस दुकानों पर भेजा जाएगा, जहां धान व गेहूं की फसल कम होती है। तभी बाजरे का भंडारण प्रदेश के कई जिलों के गोदामों में करवाया जा रहा है। 21.50 रुपए किलो के हिसाब से अनुमानित 32.25 करोड़ रुपए का बाजार खरीदा जाना है, जिसे पीडीएस दुकानों से 1 रुपए किलो में बेचने पर सरकार को मात्र 1.50 करोड़ रुपए की आय होगी, जिससे सरकार को घाटा होना तय है। मप्र सरकार का बाजरा खरीदी का उच्चतम रिकार्ड 50 हजार टन का रहा है। इस बार भी केंद्र सरकार ने 50 हजार टन का लक्ष्य लिया था, लेकिन अकेले मुरैना में ही अब तक 1 लाख 9 हजार टन से ज्यादा की खरीद हो चुकी है। ऐसे में मप्र सरकार ने भारत सरकार से लक्ष्य बढ़वाकर तीन गुना करवाया है। लक्ष्य में से 90 फीसदी से ज्यादा बाजरा तो मुरैना जिले में ही खरीदे जाने का अनुमान है।
इनका कहना है
गल्ला मंडी और समर्थन मूल्य के बीच लगभग 7 रुपये किलो का अंतर है, इसलिए किसानों ने इतना बाजरा बेचा है कि हमको केंद्र सरकार से लक्ष्य तीन गुना करवाना पड़ा है। बाजरा को केंद्र सरकार नहीं लेती है, इसे हमें अपने प्रदेश में ही खपत करना है।
फैज अहमद किदवई, प्रमुख सचिव, खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग