जबलपुर। वित्त विभाग के स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय (संयुक्त संचालक ऑडिट, सिविक सेंटर) में 55 लाख रुपये के हेरफेर के बाद अब कार्रवाई का दौर शुरु हो गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी लिपिक संदीप शर्मा कागजी बिलों पर अफसरों के साइन कराता था,लेकिन इसी बिल की ऑनलाइन कॉपी को एडिट कर उसमें राशि बढ़ा देता था। फिर इसी बढ़ाई हुई राशि को वो अपने खाते में ट्रांसफर कर लेता था। इस खेल का खुलासा तब हुआ,जब एक बिल पर आपत्ति आई और जांच हुई तो पता चला कि बिलों के दोनों फॉर्मेट में अलग-अलग धनराशि दर्ज है। पहले ये जांच अंदर ही अंदर चल रही थी,लेकिन जब हेरफेर की रकम ज्यादा निकली तो उच्चाधिकारियों को इत्तेला दी गयी।
करोड़ों के गबन का अंदेशा
इधर, मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ये मामला महज 55 लाख का नहीं है,बल्कि ये करोड़ों के हेरफेर का प्रकरण है। इसमें कई और भी अधिकारी-कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि इस प्रकरण में भोपाल में बैठे अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हो तो भी आश्चर्य की बात नहीं होगी। ये हेरफेर कब से चल रहा है और कितने बिल इस तरह से फर्जीवाड़े का शिकार हुये हंै,ये जांच-पड़ताल में ही पता चलेगा,लेकिन विभाग के अधिकारियों की सांसें फूली हुई हैं। सबने फोन बंद कर लिया है। वहीं, बाबू संदीप शर्मा मामले की जांच शुरु होते ही गायब हो गया और वॉट्सएप पर ग्लानि होने की बात कहते हुये आत्महत्या की बात कही थी,जिसके बाद से मामले ने और तूल पकड़ लिया।
रातोंरात की गयी कार्रवाई
स्थानीय निधि संपरीक्षा के जबलपुर क्षेत्रीय कार्यालय में हुये अधिक भुगतान और गबन के मामले में संभागायुक्त अभय वर्मा ने सहायक संचालक श्रीमती प्रिया विश्नोई को तथा कलेक्टर दीपक सक्सेना ने ज्येष्ठ संपरीक्षक श्रीमती सीमा अमित तिवारी को निलंबित कर दिया है। मामले में सयुंक्त संचालक के फर्जी हस्ताक्षर करने तथा फर्जी आदेश और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर फर्जी देयक तैयार कर लगभग 55 लाख रुपये का गबन करने वाले स्थानीय निधि संपरीक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-तीन संदीप शर्मा का संचालनालय स्थानीय निधि संपरीक्षा प्रकोष्ठ भोपाल द्वारा निलंबन आदेश जारी किया गया है।
सब शामिल हैं या नहीं, जांच विषय
सस्पेंड किए गये सहायक संचालक श्रीमती प्रिया विश्नोई एवं ज्येष्ठ संपरीक्षक श्रीमती सीमा अमित तिवारी इस मामले में बाबू के साथ मिले हुये थे या फिर वास्तव में धोखाधड़ी करते हुये इनसे हस्ताक्षर कराए गये, ये जांच विषय है। प्रश्न ये उठाए जा रहे हैं कि इस कार्यालय से एक या दो बिल तो पास होते नहीं हैं,बिलों की संख्या ज्यादा होती है,ऐसे में ये दावा करना कि अकेला बाबू ही पूरा खेल खेल रहा था, जल्दबाजी होगी। हालाकि, कलेक्टर ने जांच दल गठित किया है और जल्दी ही रिपोर्ट सामने आएगी।
मामला गंभीर,हर पहलू की जांच होगी
इस मामले में निलंबन किए गये हैं और जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। मामला बेहद गंभीर है इसलिए विस्तार से जांच की जाएगी। बिलों में जालसाजी होती रही और अधिकारियों ने क्यों नहीं देखी,ये जांच का मुख्य बिन्दु है। ये सिलसिला कब से चल रहा है और अब तक कितने बिल इस तरह से एडिट किए गये हैं,इसका खुलासा जांच के बाद ही होगा।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर
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