भोपाल न्यूज़ (Bhopal News) मध्‍यप्रदेश

मध्‍य प्रदेश के शहरी निकाय चुनावों पर HighCourt के फ़ेसले से होगी देरी

भोपाल। मध्य प्रदेश के शहरी निकाय के चुनाव (Urban body elections) अप्रैल-मई में होने वाले हैं लेकिन मप्र हाइकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के फैसले की वजह से अब चुनाव(Election) में देरी हो सकती है. प्रदेश में कुल 407 त्रिस्तरीय शहरी निकाय हैं, जिनमें 16 नगर निगम, 99 नगरपालिकाएं और 292 नगर परिषद हैं. शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों के चुनाव एक साल से लंबित हैं.



दरअसल मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ((Madhya Pradesh High Court)) की दो अलग-अलग पीठों के आरक्षण प्रक्रिया (Reservation Process) पर रोक लगाने से चुनाव में देरी हो सकती है. मध्य प्रदेश हाइकोर्ट की इंदौर पीठ ने 15 मार्च को नगर निगम महापौर, नगरपालिका और नगर परिषद के चेयरपर्सन और कॉर्पोरेटरों के पद का आरक्षण इस आधार पर रोक लगा दिया कि आरक्षण रोस्टर व्यवस्था का पालन नहीं किया गया. इससे पहले 12 मार्च को मध्य प्रदेश हाइकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने भी इसी आधार पर 79 नगरपालिकाओं और दो नगर निगमों में आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी.

भाजपा के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश नेतृत्व अभी चुनाव कराने को लेकर उत्साहित नहीं है. पार्टी के एक उच्च पदाधिकारी का कहना है, ‘‘पहली बात तो यह कि पार्टी के नेता पश्चिम बंगाल और असम में अधिक महत्वपूर्ण चुनाव में व्यस्त हैं और वे रणनीति बनाने के लिए उपलब्ध नहीं हैं.’’ दूसरी बात, भाजपा को चिंता है कि शहरी निकाय के चुनाव में महंगाई का मुद्दा विपरीत प्रभाव डाल सकता है. कुछ महीने पहले किए गए पार्टी के एक सर्वेक्षण में संकेत मिला था कि चुनाव नतीजे उसके पक्ष में हो सकते हैं, भाजपा चुनाव वाले 16 नगर निगमों में से 12 जीत सकती है. लेकिन पार्टी के अंदरूनी लोगों का कहना है कि अब चुनाव हुए तो वांछित नतीजे नहीं निकलेंगे, संभवतः इसके पीछे कारण होगा जरूरी जिंसों की कीमतों में इजाफा. इसकी वजह से आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो सकता है और आलोचक मौजूदा नेतृत्व को निशाना बना सकते हैं.

मध्य प्रदेश हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके राज्य सरकार को शहरी निकायों और पंचायतों के चुनाव रोकने को कहा गया है. पीठ ने 26 फरवरी को राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा था कि अगर मतदान के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी हो गई है तो चुनाव आयोजित करा लें. इसके बाद दोनों पार्टियां चुनाव के मोड में चली गईं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने चुनाव समिति और प्रबंधन समिति का गठन कर दिया, जो पूरे राज्य में बैठक कर रही थीं. कांग्रेस इससे भी एक कदम आगे निकल गई थी. उसने अपने विधायक संजय शुक्ल को इंदौर से महापौर का उम्मीदवार घोषित कर दिया था.

राज्य के शहरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने मीडिया को बताया, ‘‘आरक्षण रोस्टर का पालन उसी तरह किया गया है जिस तरह पिछले चुनावों में किया गया था. राज्य सरकार इस स्थगनादेश को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटिशन दाखिल करने वाली है.’’

इस बीच, भाजपा और कांग्रेस ने पंचायत चुनाव जल्द से जल्द कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग में तहरीर दी है. दोनों पार्टियों की दलील है कि बरसात में पंचायत चुनाव संभव नहीं होगा, लिहाजा गर्मी के मौसम में ही चुनाव करा दिया जाए. पंचायत चुनाव पार्टी लाइन पर नहीं होते जबकि शहरी निकाय के चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार खड़े होते हैं.

शहरी निकायों और पंचायतों का कार्यकाल दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में पूरा हो गया. मध्य प्रदेश में कुल 407 त्रिस्तरीय शहरी निकाय हैं, जिनमें 16 नगर निगम, 99 नगरपालिकाएं और 292 नगर परिषद हैं. इनमें कुल 344 में चुनाव होने हैं, जिनमें 16 नगर निगम, 75 नगरपालिकाएं और 253 नगर परिषद हैं.

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