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H3N2 वायरस कितना जानलेवा है, जानिए एक्सपर्ट की राय और लक्षण

नई दिल्ली (New Delhi)। देश में कोरोना वायरस (corona virus) के बाद एच3एन2 (H3N2) इन्फ्लूएंजा का खतरा बढ़ता जा रहा है। अब यह फ्लू जानलेवा (flu deadly) हो चुका है। इस इन्फ्लूएंजा की वजह से हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक मरीज की मौत हो चुकी है। इसके बाद केंद्र सरकार सतर्क हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यों को बढ़ते संक्रमण को लेकर सतर्कता और लगातार निगरानी के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सभी तरह की मदद का आश्वासन भी दिया है, हालांकि दिल्ली (Delhi) के तमाम बड़े सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) में एच3एन2 वायरस (H3N2 virus) से निपटने को लेकर तैयारी पूरी है।

वहीं नीति आयोग ने हाल ही में मंत्रालयों की बैठक बुलाई है. जिसमें राज्यों की स्थिति की समीक्षा की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दिसंबर से मौसमी इन्फ्लूएंजा के मरीज आ रहे हैं। एच3एन2 संक्रमण का प्रसार भी बढ़ता दिखाई दिया है। मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि मार्च के अंत तक संक्रमण के प्रसार में कमी आ सकती है।

क्या होता है H3N2 वायरस?
H3N2 वायरस या इन्फ्लूएंजा वायरस जो आम तौर पर सूअरों में फैलते हैं, जब लोगों में पाए जाते हैं, तो उन्हें “वैरिएंट” वायरस कहा जाता है. इस वायरस की पहली बार 2010 में अमेरिकी सूअरों में पहचान की गई थी. 2011 के दौरान H3N2v के साथ 12 लोगों में इस संक्रमण का पता चला. इसके बाद 2012 के दौरान H3N2v के 309 मामले सामने आए थ।

‘H1N1 का सर्कुलेटिंग स्ट्रेन है’
मेदांता के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इस वायरस को ज्यादा खतरनाक नहीं बताया है. उन्होंने कहा, “यह ऐसा वायरस है जो समय के साथ बदलता रहता है। इसे एंटीजेनिक ड्रिफ्ट कहा जाता है।” उन्होंने कहा, “कुछ साल पहले H1N1 वायरस का प्रभाव था। उसी का वर्तमान सर्कुलेटिंग स्ट्रेन H3N2 है, इसलिए यह एक सामान्य इन्फ्लुएंजा स्ट्रेन है. यह बूंदों के माध्यम से COVID के समान ही फैलता है. उन्होंने कहा, “इससे केवल उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं।

H3N2 के क्या लक्षण हैं?
WHO की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा की चपेट में आने पर बुखार, खांसी, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकावट, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. संक्रमण की चपेट में आने से ज्यादातर लोगों का फीवर एक हफ्ते में ही ठीक हो जाता है, लेकिन खांसी को ठीक होने में दो या उससे ज्यादा हफ्ते का वक्त भी लग सकता है.

H3N2 से बचाव के तरीके
H3N2 से बचने के लिए डॉक्टरों ने नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क लगाने सहित कोविड जैसी सावधानियां बरतने की सलाह दी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने छींकने और खांसने के दौरान मुंह और नाक को ढकने, आंखों और नाक को छूने से बचने और बुखार और शरीर में दर्द के लिए पैरासिटामोल लेने को कहा है।

इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाले इलाकों से परहेज करने, मास्क लगाने, खांसते और छींकते वक्त मुंह और नाक रुमाल से ढक कर रखने की भी सलाह दी गई है. पब्लिक प्लेस पर न थूकने के साथ ही हाथ मिलाने या किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क से बचने को कहा गया है.

लोकनायक अस्पताल में तैयारी पूरी
वहीं, लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि हमारे अस्पताल में एच3एन2 वायरस से पीड़ित कोई मरीज भर्ती नहीं है। अस्पताल में 20 आइसोलेशन के बिस्तर ऐसे मरीजों के आरक्षित किए हैं। इन सभी पर ऑक्सीजन और बाइपेप की सुविधा उपलब्ध है।

मरीजों की संख्या बढ़ी
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने बताया कि उनके अस्पताल में ओपीडी में इन्फ्लूएंजा के लक्षण वाले मरीजों की तादात काफी बढ़ी है। एच3एन2 वायरस की जांच अस्पताल में नहीं होती। इनके सैंपल बाहर भेजे जाते हैं। उन्होंने बताया कि 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड अस्पताल में मौजूद है। गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर भी उपलब्ध हैं।

ज्यादा जांच नहीं की जा रहीं
आरएमएल अस्पताल में भी इस वायरस के लक्षण वाले मरीज आ रहे हैं। हालांकि, जांच में इनकी पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि इसकी जांच अधिक नहीं होती है। यहां इन्फ्लूएंजा के मरीजों के लिए 20 बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड मौजूद है। डॉक्टर को टीम को एहतियात और आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है।

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