- बैंक कर्मचारियों की सरकार को चुनौती
- निजीकरण का विरोध, पेंशन योजना में सुधार की मांग
इंदौर। पांच दशक पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। सरकार बैंकों का निजीकरण करना चाहती है और कर्मचारी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों ने सरकार को एक बार फिर चेतावनी दी है कि बैंकिंग अमेंडमेंट एक्ट लागू किया गया तो तत्काल बैंकों में हड़ताल कर दी जाएगी।
भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र, कैनरा, इंडियन ओवरसीज, पंजाब नेशनल, यूको, यूनियन बैंक आदि 12 बैंकों के तकरीबन 5 लाख अधिकारी-कर्मचारी केंद्र सरकार के बैंकों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। मध्य प्रदेश बैंक एम्पलाई एसोसिएशन के चेयरमैन मोहन कृष्ण शुक्ला ने बताया कि सरकार निजीकरण को लेकर कर्मचारियों के प्रति सकारात्मक नहीं है। डेढ़ सप्ताह पहले देशभर के कर्मचारियों ने संसद भवन के बाहर धरना दिया था। कर्मचारियों को अंदेशा है कि सरकार संसद में बैंकिंग अमेंडमेंट बिल कभी भी ला सकती है।
अगर सरकार ऐसा करती है तो देशभर के कर्मचारी एक साथ तत्काल हड़ताल पर जाने की मंशा बना चुके हैं। रविवार दोपहर को इंदौर में बैंक कर्मचारियों का संगठन एक बैठक आयोजित करने जा रहा है। इसमें निजीकरण के विरोध में कर्मचारी आगामी रणनीति तैयार करेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार 1986 में बनी पेंशन योजना में सुधार करे और मूल पेंशन को बढ़ाने की मांग भी कर्मचारी करेंगे। बैंक कर्मचारियों का कहना है कि सरकार बैंकों का निजीकरण कर औद्योगिक घराने में देना चाहती है, जो देशहित में नहीं है। इसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।
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