इंदौर। मोबाइल और डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की आंखों पर गंभीर असर पड़ रहा है। इंदौर के अधिकांश स्कूलों की कक्षाओं में 5 से अधिक बच्चे चश्मा पहनकर आ रहे हैं। अब कम उम्र में ही बच्चों को चश्मा लगाने की नौबत आ रही है। नेत्र चिकित्सक डॉ. संजय अग्रवाल सिन्हा ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में बच्चों में नेत्र रोग बढ़ा है। हर माह औसत 8 से 10 बच्चे मोबाइल का अधिक उपयोग करने के कारण नेत्र रोग से पीडि़त होकर डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। 8 साल से कम उम्र के बच्चों को चश्मा लगाना पड़ रहा है। दरअसल, सोशल मीडिया का उपयोग बढऩे के साथ ही स्मार्ट फोन का उपयोग करने वालों की संख्या बढ़ी है।
बच्चे भी तेजी से स्मार्ट फोन की तरफ आकर्षित हुए हैं। माता-पिता के मोबाइल पर बच्चों का गेम खेलना आम हो गया है, पर जब बच्चे स्वयं को मोबाइल के आसपास कैद कर लेते हैं और उनका 4 से 7 घंटे का समय मोबाइल पर गुजरने लगता है, तो फिर इसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ता है। आंख में जलन से रोग की शुरुआत होती है और फिर वह धीरे-धीरे गंभीर बीमारी का रूप धारण कर लेती है।
ऑप्थोमोलोजिकल सोसायटी की कॉन्फ्रेंस में भी जताई चिंता
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव चौधरी, डॉ. महेश गर्ग, डॉ. मुरलीधर, डॉ. ज्योति, डॉ. सुमित्रा दुबे, डॉ. केन निश्चल, डॉ. अमित पोरवाल, डॉ. सुमित अग्रवाल, डॉ. मनुश्री गौतम और डॉ. कविता पोरवाल ने बच्चों में होने वाले आंख के रोग व इनके आधुनिक इलाज पर चर्चा की और चिंता जताई की माता-पिता की लापरवाही से बच्चे आंखों पर बड़े नंबरों के चश्मे लगाने पर मजबूर हैं।
मोबाइल-टैबलेट से आंख की मांसपेशियों पर असर
आंखों को लंबे समय तक एक ही दूरी पर फोकस करने के लिए मजबूर करता है। इससे आंखों की मांसपेशियों पर तनाव पड़ता है, जिसके कारण समय से पहले दृष्टि कमजोर होने की स्थिति बन जाती है। शुरुआत में आंखों में रुखापन और फिर पानी आने की समस्या बन जाती है।
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