इंदौर न्यूज़ (Indore News)

टैक्स बचाने के चक्कर में हिमाचल-दमन में रजिस्टर्ड हो रहीं लक्झरी कारें

  • प्रदेश में 16 प्रतिशत है टैक्स तो दूसरे राज्यों में 4 से 6 प्रतिशत ही

इंदौर, संजीव मालवीय। प्रदेश में दौडऩे वाली लक्झरी कारों (Luxury Car) के मालिक टैक्स बचाने के चक्कर में दूसरे राज्यों में गाडिय़ां रजिस्टर्ड (Registered) करवा रहे हैं और सरकार (Government) को करोड़ों रुपयों का चूना लगा रहे हैं। इसका कारण प्रदेश में रोड टैक्स (Road Tax) की स्लैब ज्यादा होना है। प्रदेश में जहां इन गाडिय़ों पर 14 से 16 प्रतिशत टैक्स लगता है तो हिमाचल प्रदेश और दमन जैसे राज्यों में इन पर मात्र 4 से 6 प्रतिशत ही टैक्स लग रहा है। अगर इंदौर की ही बात की जाए तो इंदौर में एक महीने में सरकार को 3 करोड़ रुपए की चपत लग रही है।
इंदौर (Indore) में फिलहाल अधिकतम डेढ़ करोड़ रुपए तक की लक्झरी गाडिय़ां (Luxury Car) उपलब्ध हैं। इससे महंगी गाडिय़ां दिल्ली (Delhi) और मुंबई (Mumbai) या फिर किसी बड़े शहर से खरीदकर लाई जाती है। इंदौर में जो महंगी कारें बिकती हंै, उनमें ऑडी, वाल्वो, मर्सिडीज, रेंज रोवर, बीएमडब्ल्यू  (BMW, Audi, Volvo, Mercedes, Range Rover)कंपनी शामिल हैं। इन कंपनियों की कारों की कीमत अधिकतम डेढ़ करोड़ रुपए तक होती है। इंदौर में जैगवार (Jaguar) और लैंडरोवर कंपनी (Landrover Company) के ऋषि सक्सेना के मुताबिक हर महीने इंदौर में इन कंपनियों की कम से कम 30 गाडिय़ों की बिक्री तो होती ही है, जिसके प्राइज रेट अलग-अलग होते हैं। प्रदेश में लक्झरी गाडिय़ों (Luxury Car) पर टैक्स की दर अधिक है। यहां पेट्रोल कारों पर 14 प्रतिशत तो डीजल कारों पर 16 प्रतिशत टैक्स लगता है, वहीं हिमाचल प्रदेश (Himmachal Pradesh) और दमन (Daman) जैसे राज्यों में टैक्स की दर मात्र 4 से 6 प्रतिशत है। 10 से 12 प्रतिशत टैक्स बचाने के चक्कर में महंगी कार खरीदने वाले लोग इसका रजिस्ट्रेशन दलालों के माध्यम से इन राज्यों में फर्जी पता देकर करवा लेते हैं और प्रदेश में बेखौफ गाडिय़ां चलाते हैं। इससे प्रदेश सरकार को राजस्व की हानि तो हो रही हैं, वहीं दुर्घटना और अन्य मामले में गाड़ी मालिक की पहचान करना मुश्किल हो जाता है और जब पुलिस या जांच एजेंसी संबंधित पते पर पहुंचती है तो वहां कार मालिक नहीं मिलता।

ऐसे हो रहा है टैक्स का नुकसान
इंदौर में हर महीने 30 लक्झरी कारें बिकती हैं, जिसकी प्राइज अलग-अलग होती है। अगर एक कार की औसत कीमत 70 से 90 लाख के रुपए के बीच भी मान ली जाए तो 30 कारों की कीमत 25 करोड़ रुपए होती है। अगर ये कारें प्रदेश में रजिस्टर्ड हो तो इन पर करीब 3 करोड़ रुपए का टैक्स सरकार को मिले, लेकिन कारें दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड होने के कारण पूरा टैक्स बाहर चला जाता है और प्रदेश के खाते में कुछ नहीं आता।


दूसरे राज्यों के डीलर दे रहे ऑफर
डीलरों का कहना है कि दूसरे राज्यों जैसे दिल्ली और मुंबई में महंगी लक्झरी कारों (Luxury Car) की डिमंाड ज्यादा है। इसलिए वहां के डीलर कई तरह के लुभावने ऑफर देकर ग्राहकों को अपने यहां बुलाते हैं। इस चक्कर में प्रदेश के लोग भी वहां कार खरीदने पहुंच जाते हैं। कई लोग दक्षिण भारत के बड़े शहरों से कार खरीदकर लाते हैं, क्योंकि वहां भी उन्हें ऑफर मिलते हैं।

कमिश्नर से मिलना चाहते थे डीलर्स
इंदौर में पांच बड़ी कंपनियों के डीलर्स हैं, जो लक्झरी कारें बेचते हैं। कल मर्सिडीज कंपनी से दिनेश मांडगे, बीएमडब्ल्यू से कुश, ऑडी से प्रमोद गढ़वाल और जैगवार और लैंडरोवर कंपनी से ऋषि सक्सेना परिवहन आयुक्त मुकेश जैन (Registration Brokers, Transport Commissioner Mukesh Jain) से मिलना चाह रहे थे, ताकि उनके सामने अपनी समस्या के साथ-साथ रेवेन्यू लॉस (Revenue Loss) की बात भी बता सकें, लेकिन कमिश्नर की व्यस्तता के कारण वे उनसे नहीं मिल सके। अब इस मामले में परिवहन मंत्री के साथ-साथ विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त को पत्र लिखा जाएगा, ताकि प्रदेश में होने वाले रेवेन्यू लॉस पर रोक लगाई जा सके।

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