टीकमगढ़ (Tikamgarh)। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (HC) ने चिंकारा का शिकार (Chinkara hunting) कर उसके मीट का परिवहन करने वालों पर कार्रवाई न होने के मामले को सख्ती से लिया। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में अनावेदक वन अधिकारियों से पूछा है कि 13 साल बाद मामले में प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। खंडपीठ ने वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल और वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
दरअसल, टीकमगढ़ निवासी ओम प्रकाश प्रजापति ने एक जनहित याचिका दायर कर बताया कि, ‘आबकारी अधिकारियों ने 20 मई 2010 को सफेद बोलेरो गाड़ी से अवैध शराब और चिंकारा का 4 किलो मीट जब्त किया था।’ याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष वर्मा ने कोर्ट को बताया कि आबकारी विभाग ने तत्काल मीट को टीकमगढ़ के वन अधिकारियों को सौंप दिया था। अगले दिन डीएफओ ने उक्त मीट की जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेज दिया था। अगस्त 2010 में रिपोर्ट आ गई, जिसमें यह पाया गया कि उक्त मीट चिंकारा का था। इसके बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
याचिकाकर्ता ने आरटीआई के तहत डीएफओ टीकमगढ़ से उक्त मामले की जानकारी मांगी, लेकिन उसे अधूरी जानकारी दी गई. इसके अलावा आबकारी विभाग से दस्तावेजों सहित पूरी जानकारी लेकर पीसीसीएफ को पत्र भेजकर कार्रवाई किए जाने की मांग की गई। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
इस जनहिता याचिका पर संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल और वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने संबंधित अधिकारयों से पूछा है कि इस मामले में अब तक आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यावाही क्यों नहीं की गई? संबंधित अधिकारियों को इस मामले में चार हफ्ते के अंदर कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना है।
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