इंदौर न्यूज़ (Indore News)

महाअभियान में सांवेर अव्वल तो मल्हारगंज फिसड्डी

  • राजस्व प्रकरण … सबसे ज्यादा महू में लम्बित प्रकरण…
  • सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत काम खुड़़ैल ने किया, सांवेर में 42 प्रतिशत मामले निपटाए

इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए राजस्व प्रकरणों को निपटाने के महाअभियान में इंदौर जिला तो फिसड्डी साबित हुआ है, वहीं पूरे जिले की 10 तहसीलों में एसडीएम लेबल पर मल्हारगंज, कनाडिय़ा और बिचौलीहप्सी फिसड्डी साबित हो रही है। दस तहसीलों में से कोई भी 50 प्रतिशत काम नहीं कर पा रहा है। हालांकि सांवेर तहसील ने सबसे ज्यादा प्रकरण निपटाकर खुद को पहले नं. पर जिले में काबिज रखा है।

राजस्व प्रकरणों के निपटान के लिए महाअभियान के आधार पर जारी किए गए एसडीएम लेबल की जांच रिपोर्ट अधिकारियों की कार्यप्रणाली के खुलासे कर रही है। दस तहसीलों में कोई भी 50 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं कर पाया है। महाअभियान में सांवेर तो नम्बर 1 निकला, लेकिन मल्हारगंज तहसील सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हुई है। बी-1 वाचन, नामांतरण, बंटाकन और सीमांकन के मामलों के साथ साथ ईकेवाईसी करने और नक्शे की तरमीम जारी करने में भी सबसे पीछे रहा है। मल्हारगंज के एसडीएम से लेकर तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी तक की कार्य रिपोर्ट चौका देने वाली है। यहां 33.4 प्रतिशत ही काम हुआ है। बी-1 वाचन में सभी तहसीलें 20 प्रतिशत ही काम कर सकी है, वहीं ईकेवाईसी करने में मल्हारगंज तहसील में 1 प्रतिशत भी पूरा काम नहीं हुआ। विधानसभा चुनाव के दौरान राजस्व के अधिकांश मामले लम्बित रह गए थे, जिसके बाद से तहसीलदार और एसडीएम तक के लम्बित प्रकरणों की संख्या बहुत बढ़ गई थी।


अभिलेख दुरुस्ती में राऊ पीछे
अभिलेख दुरुस्ती के प्रकरणों में खुड़ैल तहसील ने बाजी मारी है। यहां 40 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है, लेकिन एसडीएम राऊ सबसे पिछड़े हुए नजर आ रहे हैं। 35 मामलो में अभिलेख दुरुस्ती के लिए लम्बे समय से मांग की जा रही थी, लेकिन सिर्फ दो ही प्रकरण अब तक निपटाए गए है और बाकी 33 अब भी लम्बित नजर आ रहे हैं। महू तहसील में अभिलेख दुरुस्ती को लेकर 365 मामले सूची में लम्बित थे, जिन पर अब भी काम नहीं किया गया और 304 अब भी पेन्डिंग बने हुए हैं। सबसे ज्यादा मामले महू के बाद जूनी इंदौर तहसील में सामने आए थे। यहां भी एसडीएम अभिलेख दुरुस्ती में पिछड़े ही है। दस तहसीलों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो कुल 965 आवेदन अभिलेख दुरुस्ती के लिए आए थे, जिनमें से 143 का ही निराकरण किया गया है। 822 अब भी पेन्डिंग बताए जा रहे हैं। प्रतिशत के आधार पर सिर्फ 14.81 प्रतिशत ही काम को अंजाम दिया गया है।

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