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भारत-चीन सीमा विवाद: फिंगर एरिया बन सकता है ‘नो मैन्स लैंड’


नई दिल्ली। लद्दाख में सीमा पर भारत-चीन के बीच तनाव कम करने की कोशिशें लगातार जारी हैं। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर विवादास्पद ‘फिंगर’ क्षेत्र को अस्थायी तौर पर नो मैन्स लैंड में तब्दील किया जा सकता है। छह महीने से जारी तनाव को कम करने के लिए इस क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों की गश्ती को रोका जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि चरणबद्ध डि-एस्केलेशन के प्रस्ताव के एक अहम पहलू के तहत फिंगर 4 लेकर से फिंगर 8 तक के एरिया को कुछ समय के लिए नो पेट्रोलिंग जोन बनाने पर विचार किया जा रहा है।

इसका मतलब यह होगा कि भारत और चीन दोनों अपने मौजूदा पोजिशन से पीछे हटेंगे। अगर यह प्रस्ताव मूर्त रूप लेता है तो चीन फिंगर 8 से पीछे हटेगा जिसे भारत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) बताता रहा है।

किस एरिया में है विवाद
चीन फिंगर 8 और 4 के बीच आठ किलोमीटर तक अंदर आ गया है, जहां उसने बंकर बना लिए हैं, जबकि भारत इसे पूरी तरह से यथास्थिति का उल्लंघन मानता है। दोनों पक्ष फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच के क्षेत्र में गश्त करते हैं, जिसके कारण अक्सर इनके बीच तनाव और झड़पें होती थीं। झील के किनारे की 1400 फीट ऊंची पहाड़ियों को फिंगर एरिया के रूप में जाना जाता है।

झील के उत्तरी किनारे को 8 फिंगर में विभाजित किया गया है, जहां दोनों पक्षों में विवाद होता रहता है। भारत फिंगर 8 पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का दावा करता है और फिंगर 4 एरिया पर पकड़ बना रहा है, लेकिन यथास्थिति का तोड़ते हुए चीन ने फिंगर 4 पर कैम्प बना लिए हैं और उसने फिंगर 5 और 8 के बीच भी किलेबंदी की है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि डिसएंगेजमेंट रोडमैप की तीन चरणों वाली प्रक्रिया के तहत फिंगर एरिया को नो पेट्रोलिंग जोन में बदलने का कदम विचाराधीन है। इसमें मौजूदा विवाद वाले स्थानों से अंततः पीछे हटने से पहले झील के उत्तरी तट से सैनिकों की संख्या को कम किया जाना शामिल है।

अगर बात बनती है तो भारत अगस्त के अंत में झील के दक्षिण में कब्जा की जाने वाली पहाड़ियों को छोड़ देगा। पिछली दो सैन्य कमांडरों की बैठकों में इन प्रस्तावों पर चर्चा की गई थी। अब तक मई के शुरू में बने गतिरोध का हल खोजने के लिए कोर कमांडर स्तर पर आठ दौर की बैठकें हो चुकी हैं।

सैनिकों की तैनाती चूनौतीपूर्ण
बहरहाल, इस एरिया में तापमान नीचे जा रहा है। अभी वहां का पारा शून्य से 20-25 डिग्री नीचे जा रहा है, और उम्मीद की जाती है कि भीषण सर्दियों में सैनिकों की बढ़ी तैनाती को और भी कम किया जा सकता है क्योंकि इतनी ठंड में दोनों पक्षों के लिए अपने सैनिकों की तैनाती चूनौतीपूर्ण होगी।

हालांकि अधिकारी पहले प्रस्ताव पर चीन के अमल न किए जाने से सावधान हो गए हैं। यह पहली दफा नहीं है जब तनाव कम करने के ऐसे प्रस्तावों ने भारतीय अधिकारियों को चीनी इरादों से सावधान किया है। एक अधिकारी ने बताया, ‘जमीन पर अब भी कुछ बदला नहीं है। ये दोनों तरफ से किए गए प्रस्ताव हैं, जहां कम से कम कुछ तो सामान्य बात दिखी है, लेकिन अभी तक किसी भी चीज पर कोई सहमति नहीं बनी है।’

बता दें कि 15 जून को गलवान की झड़प के तुरंत बाद एक चौंका देने वाला डिसएंगेजमेंट हुआ था। यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हुई क्योंकि चीन पैंगोंग झील के फिंगर 4 एरिया से पीछे नहीं हटने पर अड़ा रहा। सीमा पर 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में एक कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू समेत 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

 

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