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चीन से आबादी के मामले में आगे निकला भारत, जानिए अर्थव्‍यवस्‍था में किसने कितना आगे है दोनों देश

नई दिल्‍ली (New Delhi) । भारत (India) दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है. अब तक चीन (China) हुआ करता था. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की आबादी 142.86 करोड़ हो गई है. चीन की आबादी 142.57 करोड़ है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अगले तीन दशकों तक भारत की आबादी बढ़ती रहेगी और उसके बाद इसमें गिरावट आनी शुरू होगी.

संयुक्त राष्ट्र 1950 से आबादी के आंकड़े जुटा रहा है. ये पहली बार है जब इस लिस्ट में भारत पहले नंबर पर आया है. अनुमान ये भी है कि 2050 तक भारत की आबादी बढ़कर 166.8 करोड़ पहुंच जाएगी तो दूसरी ओर चीन की जनसंख्या घटकर 131.7 करोड़ होने की उम्मीद है.

संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रोस्पेक्ट्स-2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल भारत की आबादी 141.2 करोड़ और चीन की 142.6 करोड़ थी.

हालांकि, आबादी के मामले में चीन को पछाड़ने पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने ट्विटर पर कुछ आंकड़े दिए हैं और बताया है कि जीडीपी, बेरोजगारी दर और महंगाई दर के मामले में भारत कैसे चीन के पीछे है.


कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी कहा कि भारत की आबादी बढ़ रही है और दुनिया का सबसे युवा देश बन गया है लेकिन नौकरियां कहां हैं?

ऐसे में जानते हैं कि आबादी, अर्थव्यवस्था, सेना और हेल्थ जैसे पैमानों पर भारत और चीन कहां टिकते हैं?

अब आबादी से जुड़े बड़े फैक्ट
– भारत ज्यादा युवाः चीन की तुलना में भारत ज्यादा युवा है. भारत की 10 से 24 साल की उम्र की आबादी 26 फीसदी है, जबकि चीन में इस उम्र की 18 फीसदी आबादी रहती है. इसके अलावा भारत में 65 साल से ज्यादा उम्र की आबादी 7 फीसदी है तो चीन में इसकी दोगुनी 14 फीसदी है.

– औसत आयु में चीन आगेः भारत की तुलना में चीन के नागरिक ज्यादा जीते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी पुरुषों की औसत उम्र 76 साल तो महिलाओं की 82 साल है. इसके मुकाबले भारतीय पुरुषों की औसत आयु 71 साल और महिलाओं की 74 साल है.

भारत की आबादी बढ़ रही, चीन की घट रही… क्यों?
भारत में आबादी क्यों बढ़ रही है? इसके तीन बड़े कारण हैं. पहला- शिशु मृत्यु दर में गिरावट यानी एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत घट रही है. दूसरा- नवजात मृत्यु दर में कमी यानी 28 दिन की उम्र तक के बच्चों की मौत में कमी आ रही है. और तीसरा- अंडर-5 मोर्टेलिटी रेट कम होना यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों की संख्या घट रही है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हेल्थ मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम (HMIS) की 2021-22 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में शिशु मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर और अंडर-5 मोर्टेलिटी रेट में गिरावट आ रही है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2012 में शिशु मृत्यु दर हर एक हजार बच्चों पर 42 थी, जो 2020 में घटकर 28 पर आ गई. यानी, 2012 में पैदा होने वाले हर एक बच्चों में से 42 एक साल भी नहीं जी पाते थे.

इसी तरह प्रति हजार बच्चों पर नवजात मृत्यु दर भी 2012 में 29 थी जो अब घटकर 20 पर आ गई. वहीं, हर एक हजार बच्चों पर अंडर-5 मोर्टेलिटी भी 2012 में 52 थी, जो 2020 में घटकर 32 हो गई है.

दूसरी ओर चीन में जन्म दर कम हो रही है. चीन के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में देश में जन्म दर प्रति हजार लोगों पर 6.77 थी, जबकि 2021 में ये 7.52 थी. 1949 के बाद ये पहली बार था जब चीन में जन्म दर में गिरावट आई.

कितनी तेजी से बढ़ रही दुनिया की आबादी?
1950 में दुनिया की आबादी 250 करोड़ के आसपास थी. 1998 में दुनिया की आबादी 6 अरब पहुंच गई थी. 2011 तक 7 अरब हो गई थी. यानी 6 से 7 अरब होने में 12 साल का वक्त लगा था. जबकि, 15 नवंबर 2022 को 8 अरब पहुंच गई है. यानी 11 साल में एक अरब लोग धरती पर बढ़ गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 1962 से 1965 के बीच दुनिया की आबादी हर साल 2.1 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि इसके बाद इस दर में गिरावट आने लगी. 1950 के बाद 2020 में पहली बार आबादी बढ़ने की ये दर 1 फीसदी से नीचे आई.

2030 तक दुनिया की आबादी 850 करोड़ पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2050 तक ये 970 करोड़ तक पहुंच जाएगी. यानी, महज 20 साल में ही दुनिया की आबादी 120 करोड़ बढ़ जाएगी.

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