इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर: बलेश्वर बावड़ी हादसे में 36 की मौत मामले में 25 लाख मुवावजे की मांग; हाईकोर्ट ने जांच देरी से पेश करने को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

इंदौर:पूर्व पार्षद महेश गर्ग कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता अदिती मनीष यादव के माध्यम से दो अलग अलग जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की थी. मामले में मृतको को 25 लाख का मुवावजे की, शहर की विभिन्न बावड़ियों और कुओ से तत्काल कब्जे हटाए जाने की और मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में गठित कमेटी से कराए जाने की मांग की गई थी.

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की डबल बेंच ने 10 जनवरी को अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था जिसे आज जारी करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होकर याचिका स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया माननीय न्यायालय ने मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट देरी से पेश करने को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आदेश में लिखा कि ये बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण की मजिस्रियाल जांच 11 जुलाई को पूर्ण हो जाने के बावजूद न कही पेश की गई.


न जनता में उजागर की गई और तो और अभी तक न किसी पर कोई विभागीय कार्यवाही हुई न कोई ट्रायल प्रारंभ हुआ इसलिए यह कोर्ट इंदौर नगर निगम और पुलिस थाना जूनी इंदौर को डिप्टी पुलिस कमिश्नर जूनी इंदौर जोन की मॉनिटरिंग में जांच को घटना के 1 साल के पूरे होने के पूर्व सारी आगामी कार्यवाही पूर्ण करने हेतु आदेशित करती है जहाँ तक मुवावजे का सवाल है उसके लिए पीड़ित पक्ष स्वयं उचित फोरम में मांग कर सकते है.

अधिवक्ता मनीष यादव के दिये गए कुवें बावड़ियों को बंद करने को गलत बताने वाली बात और पुनर्जीवित करने के तर्क को स्वीकार करते हुए ये न्यायालय तत्काल प्रभाव से इंदौर नगर निगम को आदेशित करती है. चूंकि शहर के कुवें बावड़िया ऐतिहासिक महत्व और सम्मान का विषय है तत्कालीन राजो रजवाड़ों के द्वारा इनका निर्माण जल प्रबंधन और प्राकृतिक जल स्त्रोत के रूप में किया गया था. जो शहर के सम्मान की बात है.

इन्हें पुनर्जीवित करना और इनका व्यापक रखरखाव करना आवश्यक है अतः निगम को आदेशित किया जाता है. इन कुवें बावड़ियों की सफाई मेंटनेंस का ध्यान रखते हुए इन्हें पुनर्जीवित किया जाए यह न्यायालय इस शहर की NGO, क्लब,समाजसेवी संगठन,कम्पनी, निजी छेत्र भी कुवें बावड़ियों के रखरखाव उनके विकास जैसे ऐतिहासिक महत्व के विषय मे आगे आकर योगदान देंगे इसी के साथ माननीय न्यायमूर्ति विवेक रूसिया माननीय न्यायमूर्ति अनिल वर्मा जी कोर्ट ने यह याचिका स्वीकार कर ली है.

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