इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अधिकारियों की लापरवाही से गई मासूम की जान

  • इलाज नहीं कराने का आरोप
  • जीवन ज्योति बालिका गृह पर जांच बैठाई

इंदौर। 14 जनवरी को राऊ स्थित संस्था जीवन ज्योति बालिका गृह में तीन वर्षों से रह रही बालिका खुशी भट्टाचार्य की अचानक मौत हो जाने के बाद वहीं के बच्चों ने अधीक्षिका सहित अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। तीन दिन से न्याय के लिए भटक रहे बच्चों ने कल कलेक्टर का दरवाजा खटखटाया।

पिछले छह महीने से सांस की बीमारी से पीडि़त खुशी की आखिर जान चली गई। डाक्टर से इलाज कराने, दवाई दिलवाने के नाम पर उसे सिर्फ धुतकार ही मिली। वह अधीक्षिका तरुणा होलकर से गुहार लगा रही थी कि उसे बीमारी है, इलाज करवा दिया जाए। उसने मेरे हाथों में दम तोड़ दिया है। उसके बाद भी कोई भी कर्मचारी उसके शरीर को हाथ लगाने को तैयार नहीं था। मैंने और संस्था की एक आंटी ने उसे आटो में बैठाकर विदा किया। यह कहना है खुशी के साथ तीन सालों से रह रही पूजा दुबे और अंजु ठक्कर का। उन्होंने बताया कि छह महीने से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। थोड़ा सा चलने पर वह हांफ जाती थी। इसके बावजूद भी उससे न केवल काम करवाया जाता था, बल्कि योगा डे पर योग करने के दौरान उसकी हालत बिगड़ी तो अधीक्षिका ने उसे नाटक बताते हुए सर्दी-खांसी की दवा देकर इतिश्री कर ली। कल कलेक्टर कार्यालय में अपने साथी को न्याय दिलाने के लिए पहुंचे बच्चों ने महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी रामनिवास बुथोलिया व बाल कल्याण अधिकारी को जांच का आवेदन दिया, जबकि संबंधित अधिकारियों का इस बात से इनकार है कि बच्चियों के साथ लापरवाही की गई है।


नियम यह कहते हैं
किशोर न्याय अधिनियम 2015 के आदर्श नियम 2021 के अनुसार संस्था में हर महीने बच्चों की जांच की जाना चाहिये। डाक्टरों को बुलाकर चिकित्सकीय जांच का लेखा जोखा रखा जाना चाहिए। किशोर न्याय ?अधिनियम के उपनियम तीन चार के अनुसार प्रत्येक बाल देखरेख संस्था वजन, लम्बाई, बीमारी, उपचार तथा अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याओं का लेखा जोखा होना चाहिए। किशोर न्याय अधिनियम के अन्य नियम के अनुसार बीमार बच्चों को देखने के लिए डाक्टर की नियुक्ति होना चाहिये। वहीं किसी बालक की मृत्यु होने या आत्महित्या का कोई भी मामला होने की सूरत में प्रभारी अइधकारी, चिकित्सा अधिकारी से जांच कराई जाए, मृत्यु का कारण व मृत्यु के बारे में लिखित सूचना पुलिस थाने्, बोर्ड, कमेटी और बालक के माता पिता अभिभावकों या रिश्तेदारों को सूचित करना चाहिए।

पूर्व मे हो चुकी है एक और बालिका की मौत
संस्था की अधीक्षिका पर आरोप लगाते हुए अन्य बच्चियों ने बताया कि पूर्व में भी खुशी प्रभारी 15 वर्ष की भी मौत संस्था की लापरवाही से हुई थी। बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ रही है। बच्चियों ने संस्था की अधीक्षिका पर दुव्र्यवहार का आरोप लगाते हुए बताया कि बच्चियों से अभद्र भाषा मे बात की जाती है, वहीं बालिका खुशी की मौत वाले दिन साथ में जाने की जिद कर रही बच्चियों को डपट भी लगाई गई। बच्चों ने बताया कि खुशी की मौत संस्था में ही हो गई थी, लेकिन उसे आटो में बैठाकर क्लीनिक ले जाने के बहाने 108 के माध्यम से एम.वाय. में भर्ती कराया गया, जहां रास्ते में उसकी मौत बताई जा रही है।

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