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कामदा एकादशी आज, भगवान विष्‍णु की ऐसे करें पूजा, बरसेगी कृपा

आज यानि 23 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्षकी एकादशी तिथि है। आज के दिन कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) का व्रत किया जाता है। आपको बता दें कि प्रत्‍येक महीने में दो एकादशी और हर पक्ष में एक एकादशी आती है । एक शुक्ल पक्ष (shukl paksh) में तो एक कृष्ण पक्ष में। ऐसे एक साल में 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। इस व्रत को सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord vishnu) की संपूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है । मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं कामदा एकादशी की पूजा विधि।

भगवान विष्‍णु की ऐसे करें पूजा :
दशमी तिथि पर सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। फिर एकादशी के दिन जल्दी उठ जाएं। सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर घर के पूजा स्थल को भी साफ करें। देवी- देवताओं (Gods and Goddesses) को स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें भी साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। फिर मंदिर में धूप में दीप जलाएं और विष्णु जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विष्णु जी के साथ-साथ माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की भी पूजा करें। ऐसा करने से दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विष्णु जी को तुलसी बेहद प्रिय है। ऐसे में उन्हें भोग में तुलसी जरूर अर्पित करें।

कामदा एकादशी तिथि मुहूर्त:



एकादशी तिथि का प्रारंभ 22 अप्रैल दिन गुरुवार को देर रात 11 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन 23 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 47 मिनट पर हो रहा है। एकादशी की उदया तिथि 23 अप्रैल को प्राप्त हो रही है, इसलिए कामदा एकादशी का व्रत 23 अप्रैल को रखा जाएगा

कामदा एकादशी व्रत का महत्व
कामदा एकादशी का व्रत करने से काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। सभी पाप नष्ट (Sin destroyed)हो जाते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को बैकुण्ठ में स्थान प्राप्त होता है। लोगों को प्रेत योनी से भी मुक्ति मिलती है। जो लोग कामदा एकादशी का व्रत करते हैं, वे दिनभर व्रत रखते हैं। भगवान विष्णु की पूजा (Worship) करते हैं और कामदा एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करते हैं।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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