उज्जैन। कार्तिक मेला अव्यवस्था और गंदगी के लिए भी चर्चा में हैं तथा पेशाबघर की कमी होने के कारण लोग हर कहीं खड़े होकर पेशाब कर रहे हैं जिससे बदबू आ रही है।
7 नवम्बर से भले ही कार्तिक मेले की औपचारिक शुरुआत उद्घाटन करके नगर निगम ने कर दी थी लेकिन मेले में दुकानों के साथ-साथ झूला, मौत का कुआ और अन्य मनोरंजन के साधनों के स्थान का आवंटन आधा मेला बीत जाने के बाद भी व्यवस्थित नहीं हो पाया। हालांकि अब मेले में काफी हद तक आवंटन का मामला निपट गया है और इस बार मेले में 50 से अधिक लोग छोटे झूलों के लिए भी अलग से स्थान दे दिया गया है। इधर मेले में इसके बाद भीड़ बढऩे लगी है। क्षेत्र के व्यवसायियों का कहना है कि मेला आयोजन समिति से जुड़े पार्षद और एमआईसी सदस्य कई बार मेले में दुकान आवंटन संबंधी मामलों को लेकर लगातार आते रहे, लेकिन उनके साथ-साथ नगर निगम के अधिकारियों ने भी कार्तिक मेले में स्वच्छता बनाए रखने को लेकर न तो कोई विचार किया और न ही व्यवस्था की।
सुविधा घर के अभाव में मेले में आ रहे नागरिकों को मजबूरी में मेला परिसर के अंदर ही बड़े झूले, मनोरंजन के साधनों और बड़े झूलों के पीछे पेशाब करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस बार निगम अधिकारियों ने कार्तिक मेले से होने वाली 27 लाख की आय का अनुमान तो लगा लिया लेकिन मेले में स्वच्छता बनी रहे इसके इंतजाम नहीं किए। मेला आयोजन की केंद्रीय समिति से जुड़े जनप्रतिनिधि भी इस बार मेले में स्वच्छता को लेकर गंभीर नहीं हैं। Share:
