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‘बदल रहा है कश्मीर’, घाटी के प्रतिनिधि मंडल ने EU सांसदों को बताई यह बात

ब्रुसेल्स। जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन सालों में जबर्दस्त बदलाव आ रहा है। भारत के इस राज्य के हालात को लेकर यूरोपीय संघ (EU) अक्सर चिंता प्रकट करता रहा है, लेकिन अब उसे भी बदलते परिदृश्य से रूबरू कराया जा रहा है। यह काम खुद कश्मीर के राजनीतिज्ञ कर रहे हैं। बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में आयोजित एक सम्मेलन में कश्मीर के प्रतिनिधि मंडल ने ईयू के सांसदों को घाटी में आ रहे सकारात्मक बदलावों से अवगत कराया।

कश्मीरी नेताओं ने यूरोपीय सांसदों को बताया कि जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन वर्षों में कैसे बदलाव आए हैं। कश्मीरी प्रतिनिधिमंडल ने ईयू सांसदों को मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। कश्मीरी नेताओं ने ईयू सांसदों को बताया कि कैसे घाटी में जमीनी लोकतंत्र को मजबूत किया जा रहा है।

कश्मीरी नेताओं ने ब्रुसेल्स में ‘कश्मीर: जमीनी लोकतंत्र, लोकतांत्रिक सशक्तिकरण की राह पर’ थीम पर आयोजित सम्मेलन में शिरकत करते हुए राज्य के ताजा हालात से ईयू सांसदों को अवगत कराया। इस सम्मेलन का आयोजन यूरोपीय संसद के राजनीतिक समूह ‘ईपीपी’ (EPP) ने किया। यह समूह दुनिया के संघर्षरत क्षेत्रों में महिलाओं व लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए लैंगिक समानता सप्ताह मना रहा है। इसके आयोजकों में यूरोप के विभिन्न संस्थान हैं।


कश्मीर में संघर्ष का मुद्दा हमेशा सुर्खियों में रहा है और इसे लेकर दो क्षेत्रीय भू-राजनीतिक शक्तियों के बीच टकराव का खतरा हमेशा रहता है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर घाटी के आम लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले अभूतपूर्व बदलाव किए गए हैं।

शांति और संवाद स्थापित करने पर जोर
यूरोपीय यूनियन की सांसद (MEP) डेनिएला रोंडिनेली ने कश्मीरी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए और शांति और संवाद स्थापित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी की भावी पीढ़ियों के लिए एक उज्जवल भविष्य के निर्माण के साथ-साथ शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए यूरोपीय संघ के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है। उन्होंने कश्मीर के युवाओं और महिला नेताओं के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बहस की शुरुआत की।

नई राजनीतिक ताकत जुटा रहा जम्मू-कश्मीर
कश्मीर में जिला विकास परिषद की अध्यक्ष सफीना बेग ने कहा कि जम्मू-कश्मीर तीन दशक से अधिक समय से आतंकवाद और संघर्ष से जूझ रहा था, लेकिन अब तीन-स्तरीय स्थानीय शासन प्रणाली के माध्यम से नई राजनीतिक ताकत जुटा रहा है।

दुख है कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय आबादी को सशक्त बनाने की इस पहल को लंबे समय तक संघर्ष की दृष्टि से देखा गया। इस कारण जवाबदेह, प्रभावी और पारदर्शी शासन को सुविधाजनक बनाने के ईमानदार प्रयासों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर जुनैद भी सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सीमा पार से आतंक के खतरे के बावजूद हमारा विकास हो रहा है और हम आगे बढ़ रहे हैं।

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