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जानिए क्यों राजीव गांधी को देना पड़ी थी रेस्टोरेंट मालिक को रिश्वत

नई दिल्ली। गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी से भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले राजीव गांधी का जीवन बहुत दिलचस्प रहा। बेहद ही शांत स्वभाव के राजीव का आज (20 अगस्त) जन्मदिन है। राजीव गांधी कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे। लेकिन 1980 में भाई संजय गांधी की मौत के बाद वे इंदिरा गांधी की मदद के लिए राजनीति में आये और संजय गांधी की अमेठी लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे।
संजय से उम्र में 2 साल बड़े राजीव का जन्म 20अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ। हालांकि हिमालय में स्थित दून स्कूल में उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। किन्हीं कारणों से अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सके और 1966 में वे भारत लौट आए। जब वे भारत लौटे तो साल 1970 में हवाई जहाज उड़ाने के लिए फ्लाईंग क्लब दिल्ली से ट्रेनिंग ली और Indian Airlines में पायलट बने। राजीव को संगीत सुनने का बहुत शौक था। वे कई तरह के संगीत सुना करते थे।
कैसे हुई सोनिया से मुलाकात: राजीव गांधी लंदन में पढ़ाई के दौरान एक ग्रीक रेस्टोरेंट में जाते थे जहां 1965 में वे पहली बार सोनिया गांधी से मिले थे। राजीव गांधी ने उस ग्रीक रेस्टोरेंट के मालिक को सोनिया के पास बैठने के लिए एक बार रिश्वत तक दी थी। दरअसल जब राजीव ने उससे (मालिक) सोनिया के पास वाली सीट मांगी थी तो उसने कह दिया था कि अगर आप चाहते हैं कि ऐसा हो तो आपको दोगुना भुगतान करना होगा। इस पर राजीव तुरंत तैयार हो गए थे। इस घटना का जिक्र रेस्टोरेंट के मालिक ने अपने एक इंटरव्यू में किया था। यहीं से राजीव और सोनिया की लव स्टोरी की शुरुआत हुई। जिसके बाद भारत में 1968 में उनकी सोनिया गांधी से शादी हो गई। उनके दो बच्चे प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी हैं।
राजीव की राजनीतिक शुरुआत : बता दें साल 1980 में संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए। उन्हें यूथ कांग्रेस का राष्ट्रिय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। आज के समय के कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को उस समय के युवा चेहरे के रूप में राजनीति में लाने का श्रेय राजीव गांधी को ही जाता है। सांसद रहते हुए जब वे एक सभा के सिलसिले में पश्चिम बंगाल में थे तब उन्हें ख़बर मिली कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई है। वे प्रणब मुखर्जी, शीला दीक्षित समेत कई नेताओं के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए।
जब राजीव प्रधानमंत्री बने : इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी को विशाल जनाधार मिला। वे प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले और प्रशासनिक फेर बदल देश में किए। आज के समय में जिन राजनैतिक बातों की चर्चा की जाती है उसके बीज राजीव ने अपने कार्यकाल में ही बोये थे। तकनीकी के क्षेत्र में भारत के कदम बढ़ाने का श्रेय राजीव गांधी को जाता है। उन्होने सेंटर फॉर डेवेलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स के तीन वर्ष के प्रोग्राम के लिए जब कहीं जगह नहीं मिली तो अशोका होटल को किराये पर ले लिया था। राजीव गांधी ने देश की शिक्षा नीति में भी कई परिवर्तन किये थे। दल बदल कानून, 18 वर्ष के युवाओं को वोट का अधिकार। वहीं रक्षा क्षेत्र में भी कई अहम फैसले लिए थे।
कहा जाता है कि राजीव के पूर्व कैबिनट और रक्षा सचिव नरेश चन्द्रा उन्हें बहुत अच्छा प्रशासक मानते हैं जबकि राजीव को प्रशासन का पहले से कोई अनुभव नहीं था। नरेश के मुताबिक राजीव बहुत ही मेहनती थे, हर फाईल को बहुत गौर से पढ़ते थे। उनकी किसी भी पॉलिसी के लिए ड्राफ्टिंग एक प्रशासनिक अधिकारी से भी अच्छी थी और अगर वे दोबारा चुन कर प्रधानमंत्री बनते तो और भी कई ऐतिहासिक फैंसले लेते।
राजीव की एयर सर्जिकल स्ट्राईक: राजीव के शासन काल में भी एक सर्जिकल स्ट्राईक देश से 2500 किमी की दूरी पर की गई थी। दरअसल उस समय मालदीव के राष्ट्रपति ने आपातकाल घोषित कर के सत्ता पाने की कोशिश की थी। तब वहाँ के निर्वाचित प्रधानमंत्री ने भारत से मदद माँगी थी। उसी वक्त आगरा की सैन्य छावनी से वायुयान से 3000 सैनिकों नें मालदीव पर हमला बोला था। इस ऑपरेशन को Operation Cactus नाम दिया गया था। और कुछ ही समय में मालदीव में शांति कायम कर दी गई। राजीव गांधी के इस फैसले से उनके तब कई दुश्मन भी बन गये थे। राजीव गांधी के राजनीतिक जीवन में उनपर कई आरोप लगे। उनके नाम के साथ बोफोर्स घोटाला जुड़ गया। वहीं शाह बानो केस पर उनकी सरकार के स्टैण्ड पर भी उनकी खूब आलोचना हुई।
वो धमाका जिसने उन्हें मार डाला: 21 मई 1991 का दिन था। रात के 10 बज रहे थे। मद्रास में श्री कोयंबटूर में वे जनसभा से रूबरू हो रहे थे उसी वक्त चंदन का एक हार लेकर एक लड़की राजीव गांधी की तरफ़ बढ़ी। जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, कानों को बहरा कर देने वाला धमाका हुआ। जब इसकी ख़बर दिल्ली में सोनिया को लगी तो वो बेसुध सी हो गई थीं।

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