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कोरियन हैकर्स ने उड़ायी 29.65 अरब रुपये की क्रिप्टोकरेंसी

नई दिल्ली। हैकिंग ऐसी चीज है जिससे कोई भी टेक्नॉलजी बची नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) ब्लॉकचेन पर बेस्ड है और ब्लॉकचेन (Blockchain) टेक्नोलॉजी को काफी सिक्योर माना जाता है. लेकिन फिर भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की चोरी भारी मात्रा में हो रही है. हालांकि समझने वाली बात ये है कि हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की चोरी ब्लॉकचेन में सेंध लगा कर नहीं, बल्कि दूसरे तरीके से की है जिसके बारे में हम आपको बताते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक नॉर्थ कोरियन हैकर्स (North Korean Hackers) ने पिछले साल लगभग 400 मिलियन डॉलर्स के क्रिप्टोकरेंसी चुराए हैं. इन्हें रुपये में तब्दील करें तो ये लगभग 29.65 अरबर रुपये होते हैं. हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी की चोरी के लिए ज्यादातर इन्वेस्टमेंट फर्म्स और सेंट्रलाइज्ड एक्स्चेंज पर अटैक किए हैं. हालांकि नॉर्थ कोरिया ने लगातार इससे इनकार किया है. ब्लॉकचेन अनालिसिस फर्म चेनालिसिस (Chainalysis) ने कहा है कि 2020 से 2021 तक नॉर्थ कोरियन हैकिंग 40% तक बढ़ गई है. इसके लिए हैकर्स अलग अलग तरीके अपना रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी चोरी करने के लिए हैकर्स फिशिंग का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. फिशिंग एक कॉमन हैकिंग फ्रैक्टिस है जिसके तहत यूजर्स के पास फेक लिंक या ईमेल भेज कर उन्हें टारगेट किया जाता है.



फिशिंग के अलावा कोड एक्स्प्लॉइट और मैलवेयर के जरिए भी साइबर क्रिमिनल्स क्रिप्टोकरेंसी चुरा रहे हैं. इस अनालिसिस फर्म के मुताबिक हैकर्स मैलवेयर के जरिए हॉट वॉलेट्स से फंड्स अपने नॉर्थ कोरिया कंट्रोल्ड ऐड्रेस पर सेंड कर रहे हैं. आम तौर पर इस तरह की हैकिंग बड़े पैमाने पर की जाती है. हॉट वॉलेट की बात करें तो ये एक टर्म है हैं जहां क्रिप्टोकरेंसी होल्ड किए जाते हैं. हॉट वॉलेट दरअसल एक क्रिप्टो वॉलेट है. ये क्रिप्टोकरेंसी सेव करने का आसान और सबसे कॉमन तरीका है. चूंकि हॉट वॉलेट हमेशा इंटरनेट और क्रिप्टोकरेंसी नेटवर्क से कनेक्टेड होते हैं, इसलिए हॉट वॉलेट हैकिंग का खतरा भी बढ़ जाता है. हॉट वॉलेट क्रिप्टोकरेंसी भेजने और रिसीव करने का भी आसान तरीका है.
चेनालिसिस की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में हैकर्स ने 7 बार क्रिप्टो प्लैटफॉर्म्स पर अटैक किया है. हैकिंग के दौरान इंटरनेट से कनेक्टेड हॉट वॉलेट्स से क्रिप्टो चोरी किए गए हैं. चेनालिसिस ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि एक बार नॉर्थ कोरिा को इन फंड्स की कस्टडी मिल जाती है तो इसके बाद वो इसे लॉन्ड्रिंग प्रोसेस से कवर अप करने के लिए कैश करा लेते हैं. एक्सपर्ट्स अगाह कर रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के बड़े अमाउंट को कोल्ड वॉलेट में ट्रांसफर कर दें जिनकी हर दिन ज्यादा जरूरत नहीं होती है. कोल्ड वॉलेट्स आम तौर पर वाइडर इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं रहते हैं, इसलिए हैकिंग के चांसेच भी यहां कम हैं.

 

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