इन्दौर। अभी जमीनों के स्वामित्व यानी टाइटल को लेकर भी ढेरों राजस्व विवाद होते हैं और हजारों प्रकरण तहसील कार्यालयों से लेकर जिला कोर्ट, हाईकोर्ट और बड़ी अदालतों में लम्बित भी पड़े हैं। अब शासन भू-स्वामित्व संबंधित कानून भी लाने जा रहा है, जिसमें लैंड टाइटलिंग प्रणाली को और बेहतर किया जाएगा और विवादरहित भूमि का स्वामित्व संबंधित असली जमीन मालिक को सौंपा जा सकता है। वहीं कई राजस्व सेवाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है, जो कि मोबाइल के जरिए ही किसानों और आम जनता को उपलब्ध होगी। हालांकि अभी भू-अभिलेख शाखा के कई काम ऑनलाइन किए भी गए हैं, जिसमें अब और सेवाएं जोड़ी जा रही है।
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने भी पिछले दिनों अपने राजस्व अमले में कसावट की और बिचौलियों को बाहर करते हुए तहसीलदारों, पटवारियों, राजस्व निरीक्षकों को जवाबदार बनाया और प्रकरणों को निपटाने की समय सीमा भी तय करवाई। अब सभी तहसीलदारों को अनिवार्य रूप से अपने दफ्तरों में बैठना है, जिसके परिणाम स्वरूप डेढ़ महीने में ही 15 हजार से अधिक लम्बित प्रकरणों का निराकरण हुआ और अब समाधान केन्द्र को भी बेहतर कर दिया गया है। वहीं सीएम हेल्पलाइन के लम्बित प्रकरण भी निपटाए जा रहे हैं, जिसमें राजस्व से संबंधित प्रकरण भी शामिल हैं। सीमांकन, नामांकन, बंटवारे से लेकर डायवर्शन सहित नजूल एनओसी, राजस्व प्रकरणों की निरंतर समीक्षा भी कलेक्टर द्वारा की जा रही है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राजस्व विभाग की समीक्षा की, जिसमें मोबाइल के जरिए ही घर बैठे कई तरह की राजस्व सुविधाएं देने की बात कही गई। एमपी भू-अभिलेख पोर्टल के अलावा आरसीएमएस पोर्टल के जरिए भी गिरदावरी, सर्वे सहित भू-अभिलेखों की ऑनलाइन प्रतिलिपियां भी दी जा रही है। पटवारियों को लैपटॉप भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वहीं आने वाले समय में कहीं से भी नामांतरण की सुविधा भी दी जाएगी। ऑनलाइन ही डायवर्शन, भूमि बंधक से लेकर राजस्व प्रकरणों को दर्ज करवाने, निराकरण की सुविधा मिलेगी। इसके लिए एक मोबाइल एप भी तैयार किया जा रहा है।
वहीं भू-स्वामित्व के विवादों को भी समय सीमा में निपटाने के लिए लैंड टाइटलिंग प्रणाली को दुरुस्त करते हुए भू-स्वामित्व कानून भी बनाया जाएगा। इस समीक्षा बैठक में राजस्व मंत्री गोविंदसिंह राजपूत, मुख्य सचिव इकबालसिंह बैस, प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। जमीनों के नक्शों के डिजीटाइजेशन का कार्य भी सभी जिलों में शुरू करवाया गया है, जिसे तीन सालों में पूरा किया जाएगा। प्रदेश में स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन के चलते 22 हजार 580 गांवों में आबादी का सर्वे भी शुरू करवाया गया है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी मकान, जमीन के स्वामित्व प्रदान किए जाएंगे, ताकि बैंकों से ऋण लेने सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ भी दिया जा सके। ई-गिरदावरी के चलते भी 2 करोड़ 62 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में से 2 करोड़ 10 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में ई-गिरदावरी का कार्य पूरा हो गया है और राजस्व अधिकारियों के मुताबिक यह लक्ष्य का 81 प्रतिशत तक पहुंच गया है। राजस्व के साथ-साथ किसान कल्याण योजना के तहत जमा की जा रही राशि की जानकारी भी मुख्यमंत्री द्वारा ली गई। वहीं यह भी निर्देश दिए गए कि जनसुनवाई के अलावा सीएम हेल्पलाइन में भी राजस्व से संबंधित जो प्रकरण आते हैं उनका भी समय सीमा में निराकरण हो।
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