इंदौर न्यूज़ (Indore News)

बंद कमरे में नेताओं की डाक्टरों के साथ बैठक

 

स्वास्थ्य पदाधिकारियों के इस्तीफे की धमकी के बाद
इंदौर। इंदौर के स्वास्थ्य अमले के डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से पहले आज रेसीडेंसी कोठी में एक बैठक हुई। बंद कमरे में हुई इस बैठक में कलेक्टर मनीषसिंह (Collector Manish Singh) तो मौजूद नहीं रहे, लेकिन कोविड प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट और संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा (Dr. Pawan Kumar Sharma) मौजूद थे। बैठक में इस्तीफा देने वाली डॉ. पूर्णिमा गडरिया (Dr. Purnima Gadaria) और स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अन्य डॉक्टर भी मौजूद थे।
कलेक्टर मनीषसिंह और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गडरिया के बीच हुई कहासुनी को लेकर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों ने आज से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था, लेकिन कल रात ही कोविड प्रभारी मंत्री सिलावट ने उनसे कहा था कि आपदा के इस दौर में वे हड़ताल का निर्णय न लें। हालांकि डॉक्टर आज सुबह से हड़ताल पर जाने पर आमादा थे, लेकिन उच्चस्तरीय बातचीत के बाद एक बार और मंत्री सिलावट ने उन्हें बात करने के लिए रेसीडेंसी कोठी बुलाया। रेसीडेंसी कोठी जाने के पहले सुबह 9 बजे सभी डॉक्टरों की जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में एक बैठक हुई। इस बैठक में सभी डॉक्टर मौजूद थे। इसके बाद सवा 10 बजे सभी डॉक्टर मिलकर रेसीडेंसी कोठी पहुंचे, जहां कोविड प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक रमेश मेंदोला पहले से उपस्थित थे। इसके बाद सांसद शंकर लालवानी, डॉ. निशांत खरे, संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा भी बैठक में पहुंच गए। बैठक से मीडिया को दूर रखा गया है। बैठक में इस्तीफा देने वाली जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गडरिया, डॉ. अमित मालाकार, डॉ. माधव हासानी, डॉ. प्रवीण जडिय़ा, सीएचएमओ डॉ. बी.एस. सेत्या, डॉ. अनिल डोंगरे सहित अन्य चिकित्सक मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार बैठक में डॉक्टरों ने कलेक्टर को हटाने को लेकर दबाव बनाने का प्रयास किया। बैठक में डॉ. गडरिया ने अपना पक्ष रखा। खबर लिखे जाने तक बैठक चल रही थी। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि भोपाल में स्वास्थ्य आयुक्त और मुख्यमंत्री कार्यालय को भी इस घटनाक्रम से अवगत कराया है, जहां से दोनों पक्षों से बात करने के लिए कहा गया था। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी आश्वासन के बाद हड़ताल पर जाने का अपना निर्णय टाल सकते हैं। बैठक में वैसे तो कोई फैसला नहीं हुआ, लेकिन सभी डॉक्टर एक माह तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे।

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