भोपाल। मप्र टाइगर स्टेट के साथ तेंदुए की देश में सर्वाधिक संख्या के चलते तेंदुआ स्टेट का तमगा भी हासिल कर चुका है। जबलपुर व उसके आस-पास के क्षेत्रों में 80 से लेकर 90 तेंदुए हैं। लेकिन, इनके संरक्षण को लेकर किसी तरह की दिलचस्पी देखने को नहीं मिल रही। अवैध खनन जंगली जानवरों के रहवास के इलाकों में हो रहा है। शिकारियों का जाल भी बढ़ा है।
हाल ही में तेंदुए का एक शावक मझौली के जंगल में घायल अवस्था में मिला था। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला कि उसे कुत्तों से होने वाली घातक बीमारी केनाइन डिस्टेंपर थी। इस शावक जैसे अधिकतर तेंदुए खतरे की जद में हैं। जिले में वन्य प्राणियों के आवागमन का प्राकृतिक कॉरीडोर सिमटता जा रहा है। इनके क्षेत्र में शिकारियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं। जिले में तेंदुओं के शिकार का ग्राफ भी बढ़ा है। बीते तीन साल में जिले में 6 तेंदुओं की मौत हुई है। इनमें से दो तेंदुए फंदा लगने व दो तेंदुए शिकार के लिए बिछाए गए करंट से मृत हुए। विशेषज्ञों के अनुसार जंगल में वन भूमि के आसपास वैध व अवैध खनन व शहर से लगे क्षेत्र में निर्माण से ये एक जगह बंध कर रह गए हैं।
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