उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

माँ बगलामुखी मंदिर का प्रबंधन सौंपा जाए हिन्दू समाज के हाथों में

  • करोड़ों का है फंड लेकिन आज तक नहीं हुआ ऑडिट-भक्तों के दान की पूर्व से लेकर अब तक कि नही है समरी

नलखेड़ा। सरकार के कानून के अनुसार माँ बगलामुखी मंदिर प्रबन्ध समिति की शासकीय समिति के द्वारा कार्य नहीं किये जाने पर अब समय आ गया है कि सिद्धपीठ का प्रबंधन हिन्दू समाज के ट्रस्ट को सौंप देना चाहिए, जिससे कि मंदिर पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव से श्रदालुओं को नहीं जूझना पड़े। शासन द्वारा हिन्दू मंदिरों के प्रबंधन हेतु धर्मस्व विभाग के अंतर्गत कानून बनाया गया है, जिसमें किसी भी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक समिति का गठन किया जाना है। इस समिति में शासकीय अधिकारियों के साथ अशासकीय सदस्यों को भी शामिल किया जाना है लेकिन विगत लगभग ढाई वर्षों से माँ बगलामुखी मंदिर प्रबन्ध समिति में कोई अशासकीय सदस्य नहीं है, जिसके कारण अधिकारी अपनी मनमर्जी से मंदिर का प्रबंधन कर रहे हैं।


कानून के अनुसार संबंधित मंदिर के आय व्यय का प्रति वर्ष ऑडिट होना अनिवार्य है और ऑडिट की एक प्रति 31 जुलाई तक आयुक्त के माध्यम से सरकार को पहुंचाना अनिवार्य है लेकिन माँ बगलामुखी मंदिर के आय व्यय का आज दिनांक तक किसी भी प्रकार का कोई ऑडिट नहीं हुआ है जोकि कानून का सरासर उल्लंघन है। यह एक ऐसा मामला है जोकि आर्थिक पक्ष से जुड़ा है। जिस मंदिर की प्रति वर्ष की आय लाखों रुपये हो और जहाँ लाखों रुपये प्रति वर्ष का व्यय किया जा रहा हो उस मंदिर के आय व्यय का ऑडिट नही होना घोर आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में माना जा सकता है। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि समिति के पास किसी भी प्रकार का यह रिकॉर्ड नही है कि मंदिर में क्या-क्या वस्तुएं हैं, जिसका अर्थ यह है कि मंदिर समिति के पास कोई रिकार्ड नहीं है कि कोई वस्तु पूर्व में क्रय की गई थी या दान में आई थी वह अब कहाँ है। कई वस्तुओं के बारे में आरोप लगते रहते है कि उस स्थान पर फला उपकरण लगा हुआ था उसके स्थान पर नया लग गया तो पुराना कहाँ गया। अब समय आ गया है कि सरकार इसे धर्म स्थलों को जहाँ शासकीय प्रबन्ध समिति कानून के मान से अपना कार्य नहीं कर पा रही है उन धर्म स्थलों को हिन्दू समाज का एक ट्रस्ट बनाकर प्रबंधन की जिम्मेदारी उन्हें सौप दे ताकि संबंधित धर्म स्थलों पर आम भक्तों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हो सके व शासकीय समिति पर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगनाभी बंद हो जाए। गौरतलब है कि तांत्रिक सिद्धपीठ माँ बगलामुखी का ये मंदिर देश नही विदेशों में भी विख्यात हो चुका है जो कि करोड़ो भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुका है परंतु इसके प्रबंध का जिम्मा शासकीय अधिकारियों के जिम्मे होने से मन्दिर की ख्याति के मान से यहां व्यव्यस्थाओं व सुविधाओं की बड़ी दरकार है जो कि आज तक प्रबंध समिति जुटा नहीं पाई है। शासकीय अधिकारियों की शासन की व्यस्थानुसार अदला-बदली हमेशा चलायमान रहती है, जिससे कि अधिकारी यहां की व्यव्यस्थाओं से पूर्ण परिपक्व भी नहीं हो पाते हैं, अगर इन समितियों में नित्य मन्दिर आने वाले व यहां की धार्मिक गतिविधियों के बारे में विस्तार से समझ रखने वाले नागरिको को प्रबन्ध समिति में शामिल किया जाता है तो जरूर मन्दिर का विकास व मूलभूत सुविधाएं मन्दिर पर देखने को मिलेगी नही तो वर्ष गुजरते जाएंगे और समस्या जस की तस ही बनी रहेगी।

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