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‘oxygen की कमी से एक भी मौत नहीं’ पर फंसे मांडविया और भारती प्रवीण, परिवाद दर्ज

मुजफ्फरपुर। कोरोना संक्रमण के कहर के दौरान ऑक्सीजन के आभाव में एक भी मौत (A single death due to lack of oxygen during the havoc of corona infection) न होने संबंधी केन्द्र सरकार के बयान का मामला अब अदालत तक पहुंच गया है. मुजफ्फरपुर में इस मामले को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य राज्य मंत्री के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है. मुजफ्फरपुर कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में जिले के सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया है. तमन्ना हाशमी ने आरोप लगाया है कि कोरोना काल में हुई मौत के मामले में केन्द्र की सरकार ने जनता को भ्रमित कर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा है. वादी का दावा है कि कोरोना काल में भारी तादाद में लोग ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के आभाव में मौत के शिकार बन गए, लेकिन सरकार खुद को बचानेे के लिए गलतबयानी कर जनता को गुमराह कर रही है.


वादी ने यहां तक दावा किया है कि मुजफ्फरपुर में जितनी मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत थी उससे काफी कम मात्रा में ऑक्सीजन लोगों को उपलब्ध कराया गया. इस वजह से मुजफ्फरपुर के निजी और सरकारी अस्पतालों में मौतें हुईं. इसी वजह से सीजेएम की अदालत में आईपीसी की धारा–153, 153A, 295, 295A के तहत यह परिवाद दायर किया गया है. वादी तमन्ना हाशमी के अधिवक्ता सुरज कुमार ने बताया है कि माननीय अदालत ने इस केस को स्वीकार करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई तय की है.

बता दें कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई है. ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में प्रकाशित इस खबर के बाद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर बताया कि यह आंकड़ा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है.

दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया था कि क्या ऑक्सीजन की कमी से कोविड-19 के मरीजों की बड़ी संख्या में सड़क पर और अस्पतालों में मौत हुई थी? इसी पर राज्यसभा में मंत्री ने बताया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कोरोना से होने वाली मौतों की जानकारी नियमित आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देते हैं. लेकिन किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत को लेकर जानकारी नहीं दी है. जाहिर है इस मामले पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है.

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