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मणिपुर हिंसा मामला : हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे BJP विधायक, आज होगी सुनवाई

नई दिल्‍ली (New Delhi) । मणिपुर हिंसा मामले (manipur violence cases) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई (hearing) करेगा। इसमें भाजपा विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई (BJP MLA Dinganglung Gangmei) ने भी मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme court) का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने मेइती समुदाय को मणिपुर की जनजाति के रूप में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के संबंध में राज्य सरकार को सिफारिश करने का आदेश दिया था। वहीं, इस मामले में अन्य दो जनहित याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट सभी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरशिमा और जेबी पारदीवाला की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।

मणिपुर के अलग-अलग इलाकों में हिंसा और आगजनी से 54 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों से मणिपुर की सड़कें सुलग रही हैं। इस मामले में भाजपा विधायक डिंगांगुलुंग गंगमेई ने भी मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची के लिए एक जनजाति की सिफारिश करने संबंधित मामले में निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति सूची के लिए एक जनजाति की सिफारिश करने का निर्देश देना पूरी तरह से राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में।


याचिका में कहा गया है कि मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश से मणिपुर में अशांति फैल गई और आदिवासियों की मौत हुई है। हाईकोर्ट के आदेश के कारण, दोनों समुदायों के बीच तनाव हो गया है और राज्य भर में हिंसक झड़पें हुई हैं। इसके परिणामस्वरूप राज्य में विभिन्न स्थानों को अवरुद्ध कर दिया गया है। इंटरनेट पूरी तरह से बंद है। राज्य में हिंसा के कारण अभी भी कई अधिक लोगों को अपनी जान गंवाने का खतरा है।

हाई कोर्ट का आदेश क्या था
मणिपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन की एकल न्यायाधीश पीठ ने अपने विवादित आदेश के माध्यम से राज्य को निर्देश दिया था कि वह अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेइती समुदाय को शामिल करने पर विचार करे। उक्त आदेश मणिपुर में चल रही मौजूदा अशांति के केंद्र में है। मेइती समुदाय एक जनजाति नहीं है और इसे कभी भी इस रूप में मान्यता नहीं दी गई है। वास्तव में वे बहुत अधिक उन्नत समुदाय हैं। हालांकि, उनमें से कुछ एससी, ओबीसी के भीतर आ सकते हैं।

हाई के फैसले की तीन गलतियां : याचिका
याचिका में दलील दी गई है कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तीन गलतियां की हैं। पहली गलती राज्य को यह निर्देश देना है कि वह मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करे। दूसरी गलती यह निष्कर्ष है कि मेइती को शामिल करने का मुद्दा लगभग 10 वर्षों से लंबित है। तीसरी गलती यह निष्कर्ष निकालना है कि मेइती जनजातियां हैं। भाजपा विधायक की याचिका के अनुसार मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष राज्य सरकार की कोई सिफारिश लंबित नहीं है।

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