भोपाल। परिवहन विभाग (Transport Department) के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के करीबियों पर अब जांच एजेंसियों की नजर टेढ़ी हो गई है। लोकायुक्त पुलिस (Lokayukta Police) मामले की जांच कर रही है। लेकिन लोकायुक्त पुलिस के साथ ईडी और अन्य एजेंसियां (ED and other agencies) भी जांच कर रही हैं। सौरभ शर्मा के दो दर्जन खास सहयोगी, जिनसे संपत्तियों को लेकर शर्मा से संबंध हैं। उनके साथ आधा दर्जन अधिकारी भी लोकायुक्त पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों की रडार पर हैं।
बताया जाता है कि सौरभ शर्मा की काली कमाई में आधा दर्जन अधिकारी साझेदार हैं। लोकायुक्त पुलिस संगठन शर्मा और उसके साझेदारों से शुरुआती पूछताछ के बाद जांच का दायरा बढ़ा रहा है। लोकायुक्त पुलिस ने 28 जनवरी को नाटकीय घटनाक्रम में सौरभ को जिला अदालत के बाहर से गिरफ्तार किया था, जहां वो समर्पण करने पहुंचा था। इसके बाद ही सौरभ के पार्टनर चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को भी हिरासत में ले लिया था। रात भर एक थाने में तीनों को साथ रखा गया था। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस कार्यालय में तीनों से अलग-अलग पूछताछ कर रही है।
सौरभ से उसकी कंपनियों अविरल इंटरप्राइजेस, अविरल कंस्ट्रक्शन और अविरल फिशरीज और पेट्रोल पंपों को लेकर पूछताछ की है। उसके घर और ऑफिस से ऑडिट रिपोर्ट भी ले चुके हैं। अब तक की पूछताछ में सौरभ से जिस भी संपत्ति के बारे में पूछा जाता है, वो उसी के बारे में बात करता है जो उसके नाम पर है।
बाकी के लिए उनके मालिकों से बात करने के लिए कहता है। बताया जा रहा है इस दौरान शरद और चेतन सिंह गौर से ज्यादा सवाल-जवाब नहीं किए गए हैं। शरद को घबराहट होने पर अस्पताल भी ले जाना पड़ा था। दिलचस्प जानकारी यह सामने आई है कि शरद और चेतन सारी संपत्तियां सौरभ की बता रहे हैं जबकि वो इससे इंकार कर रहा है। इस मामले में जो बेनामी संपत्तियां सामने आ रही हैं, उन पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसेगा।
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