भोपाल (Bhopal)। केन्द्र की मोदी सरकार (Modi Govt) के इस कार्यकाल का आखिरी बजट (last budget) 1 फरवरी को पेश होने जा रहा है. लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए ये पूर्ण बजट न होकर अंतिम बजट (last budget) होगा. सरकार के अंतिम बजट को लेकर युवाओं ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बने 10 साल हो गए हैं. 10 साल के इन कार्यकालों के बजट में हर बार किसान, व्यापारी और अधिकारी-कर्मचारी (नौकरीपेशा) का ही ध्यान रखा गया, जबकि हर बजट में बेरोजगार युवाओं की अनदेखी ही की गई है. युवाओं के लिए बेरोजगारी सबसे कठिन दौर होता है.
युवा महेश सेन कहते हैं कि पढ़ाई पूरी किए तीन साल हो गए हैं. वैकेंसी निकलती है, तो उधार लेकर फार्म भरना पड़ता है. परिवार की स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं है. आवेदन जमा करने के बाद वैकेंसी के लिए अन्य शहरों में जाना पड़ता है. बस-ट्रेन का किराया भी मुश्किल से हो पाता है. इस बजट में ऐसी व्यवस्था हो कि आवेदन फार्म नि:शुल्क भरे जाएं.
छात्रा सनोमी वर्मा बताती हैं कि कॉलेज के लिए 60 किलोमीटर दूर सीहोर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. परिवार की माली हालत ठीक नहीं है. मम्मी मजदूरी करती हैं और मुझे बस का किराया देते हैं. इस बजट में बस और ट्रेन के किराए छूट मिलना चाहिए. यह सभी युवाओं की व्यथा है.
युवा बोले- ‘कोई सरकार युवाओं की नहीं’
वहीं अरविंद राघव बताते हैं कि जनप्रतिनिधि मंचों से युवाओं को देश का भविष्य बताते हैं, लेकिन आज यही भविष्य दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं. आए दिन होने वाले चुनावों पर करोड़ों अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन युवाओं के लिए उद्योग-धंधों की स्थापना नहीं की जाती है और न ही सरकारी विभागों में नौकरियां निकलती है.
यदि वैकेंसी निकलती है तो घोटालों के चलते रद्द हो जाती है. युवती सपना तिवारी ने बताया कि कड़ी मेहनत कर पढ़ाई की, पीजीडीएस किया सिलाई-कढ़ाई आती है, लेकिन कोई फायदा नहीं. अब तो नौकरियों के लिए फार्म भरना ही बंद कर दिया है. कोई भी पार्टी, कोई सरकार युवाओं की नहीं है. राजनीति के मंचों से बस युवाओं को झूठे आश्वासन ही दिए जाते हैं. सब कुछ बेकार है.