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Mohammed Rafi जिंदगी का आखिरी दिन भी कर गए गाने के नाम, सादगी भरी रही गायकी के फनकार की जिंदगी


डेस्क। मोहम्मदी रफी साहब ने सिनेमा को सदबहार नगमें दिए हैं जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। उनका गाया एक-एक शब्द जहां प्यार की कहानी कहता है, तो वहीं युवा दिलों को धड़कन है। उनके जैसा फनकार न कोई दूसरा है और न ही होगा। मोहम्मद रफी साहब ने अपनी पूरी जिंदगी गायकी को समपर्पित कर दी थी, यहां तक कि अपनी जिंदगी के आखिरी दिन भी रफी साहब गाने की रिकॉर्डिंग में व्यस्त थे। 31 जुलाई 1980 को मोहम्मद रफी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था और सिनेमा जगत ने एक अनमोल हीरा खो दिया। मोहम्मद रफी साहब ने केवल अपनी गायकी बल्कि सादगी के लिए भी जाने जाते थे।

मोहम्मद रफी का जन्म पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हाजी अली मोहम्मद के परिवार में हुआ था। रफी साहब छह भाई बहनों में दूसरे नंबर पर थे। बताया जाता है कि मोहम्मद रफी ने गली में फकीर को गाते सुनकर गाना शुरू किया था। संगीत के प्रति उनका समर्पण भाव ही था कि वह संगीत की दुनिया का चमकता सितारा बनें जो आज इस दुनिया में न होते हुए भी आसमां की बुलंदियों में है।

बेहद सादगी पसंद इंसान थे रफी साहब
मोहम्मद रफी साहब सिनेमा की इस चकाचौंध भरी दुनिया का जाना-माना नाम थे लेकिन उन्हें पब्लिसिटी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। उनके बारे में बताया जाता है कि वह जब भी किसी शादी में जाते थे तो ड्राइवर से कहते थे कि यहीं खड़े रहो। इसके बाद रफी साहब सीधे शादी करने वाले जोड़े के पास जाकर बधाई देते थे और फिर अपनी कार में आ जाते थे। वह जरा देर भी शादी में नहीं रुकते थे।


पतंगबाजी और बैडमिंटन का था शौक
रफी साहब में गायकी के प्रति तो दीवानगी के बारे में तो सभी को जानकारी है, लेकिन काम से इतर अगर बात उनकी रुचि की करें तो गायकी के साथ ही, इसके साथ ही उन्हें बैडमिंटन खेलने और पतंग उड़ाने का भी खासा शौक था।

महज 19 बरस की आयु में हो गई शादी
मोहम्म्द रफी की शादी बिलकिस बानों से हुई थी। गायक के निधन के आठ साल बाद पत्नी बिलकिस एक इंटरव्यू के दौरान रफी साहब के बारे में कई दिलचस्प बातें बताई थीं और साथ ही अपनी शादी के बारे में भी बात की थी। बिलकिस की बड़ी बहन की शादी रफी के बड़े भाई से हुई थी। उस समय बिलकिस की उम्र महज 13 साल की थीं और वह छठी कक्षा की परीक्षा दे रही थीं और इसी दौरान उनकी बहन ने उनसे कहा था कि कल रफी से तुम्हारी शादी है। तब उन्हें शादी का मतलब भी पता नहीं था। शादी के वक्त रफी की उम्र भी सिर्फ 19 साल थी।

रफी साहब के पास कलकत्ता से कुछ लोग मिले आए थे और उनसे मां काली की पूजा के लिए गाना गाने का आग्रह किया था। रफी साहब ने किए गए वादे के अनुसार वह रिकॉर्डिंग करने लगे। उनके सीने में दर्द की शिकायत थी लेकिन रफी साहब ने इस बारे में किसी को नहीं बताया और गाने की रिकॉर्डिंग में व्यस्त रहे। इसके बाद दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया और सिनेमा ने अपने एक दिग्गज को खो दिया। जिसकी पूर्ति करना नामुमकिन है।

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