इंदौर न्यूज़ (Indore News)

सफाई में रिकॉर्ड बनाने वाले शहर में मच्छरों का कोहराम

इस साल मच्छरों की भरमार से शहरवासी हैरान परेशान

नालों के पास कॉलोनी और बस्ती वालों की नींद हराम

इंदौर। साफ-सफाई में सात साल से नंबर वन का रिकार्ड (Record) बनाने वाले शहर में मच्छरों ने कोहराम मचा रखा है । मच्छरों की बेशुमार भरमार ने शहर के आम और मध्यमवर्गीय रहवासियों का दिन में जीना मुहाल तो रात को नींदें हराम कर रखी हैं। क्या आम, क्या खास सभी रहवासी मच्छरों के कारण परेशान हैं। [relost]

इस मामले में जिला स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया अधिकारी दौलत पटेल (District Health Department Malaria Officer Daulat Patel) का कहना है कि इस साल का क्लाइमेट (वातावरण) मुफीद, यानी अनुकूल होने के कारण पिछले सालों की अपेक्षा इस साल मच्छरों की पैदावार बहुत ज्यादा है। मच्छरों के प्रजनन में अधिकता या कमी में क्लाइमेट का बहुत असर होता है। इसमें बदलाव आते रहते हैं। सालों से दवाओं के इस्तेमाल के चलते मच्छरों की इम्युनिटी इतनी बढ़ गई है कि अब उन पर कीटनाशक दवाओं का असर ज्यादा नहीं होता।

बदल रहा है मच्छरों का पावर और मिजाज
पिछले कुछ सालों में खासकर कोरोना काल के बाद मच्छरों की प्रजातियों में भी बदलाव महसूस हो रहे हैं, जिस पर रिसर्च, यानी शोध अथवा अनुसंधान की जरूरत है। पहले मच्छर के आसपास मंडराने पर आवाज आती थी, मगर अब आवाज नहीं आती। अब उनके काटने पर ही पता चलता है कि मच्छर है। पहले अत्यधिक ठंड या सर्दी में तापमान गिरने के चलते मच्छर खत्म हो जाते थे या उनके प्रजनन में कमी आ जाती थी, मगर अब अत्यधिक ठंड का इन पर कोई असर नहीं पड़ता। मतलब पहले की अपेक्षा अब जिद्दी और अडिय़ल प्रवृत्ति के मच्छर पनप रहे हैं। पहले की अपेक्षा अब मच्छरों का पावर और मिजाज बदलता नजर आ रहा है।

अब ऑलआउट रिफिल का असर नही
मच्छरों से परेशान शहरवासियों का कहना है कि मच्छर अब इतने पावरफुल हो गए हैं कि इन पर मच्छर मारने का दावा करने वाली ऑलआउट रिफिल का भी ज्यादा असर नहीं होता, बल्कि कई बार तो हद तब हो जाती है, जब मच्छर ऑलआउट की रिफिल पर बैठे नजर आते हैं। मच्छरों को मारने वाली क्वॉइल जरूर असर करती है, मगर उसके धुएं के कारण श्वास संबंधित दूसरी समस्याएं अथवा बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

मच्छरदानी और ओडोमॉस क्रीम की खपत बढ़ी
मच्छरों का प्रकोप इतना ज्यादा है कि शाम होते ही सिर के ऊपर सैकड़ों की तादाद में मच्छर मंडराने लगते हैं। बार-बार भगाने के बावजूद नहीं भागते। कई बार तो कहीं ठहरकर किसी से बात करना मुश्किल हो जाता है। मच्छरों की भरमार से जहां शहरवासी परेशान हैं, वहीं मच्छरदानी का व्यापार करने वालों की चांदी हो गई है। इसके अलावा मेडिकल स्टोर्स पर ओडोमॉस क्रीम की खरीदारी बढ़ गई है।

साफ-सफाई या गंदगी से मच्छरों का कोई संबंध नही
साफ-सफाई के मामले में देश में नंबर वन शहर में मच्छरों के प्रकोप के मामले में निगम अधिकारियों का कहना है कि साफ-सफाई या गंदगी से मच्छरों का कोई संबंध नहीं है, क्योंकि अब मच्छर की कई प्रजातियां साफ-स्वच्छ, यानी घर में टंकी के साफ पानी में भी पनप जाती हैं। इसलिए इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं है कि देश के सबसे साफ-स्वच्छ शहर में मच्छरों की भरमार कैसे।

नालों में हो रही गंदगी के कारण पनप रहे मच्छर
जबकि इस मामले में जागरूक लोगों का कहना है कि शहर के नालों के कारण मच्छरों की भरमार है। कान्ह और सरस्वती नदियों के शुद्धिकरण के चलते पिछले कुछ सालों में नाले गंदगी से इतने मुक्त हो गए थे कि निगम के अधिकारी नालों में क्रिकेट खेलने लगे थे, मगर अब वापस नालोंमें गंदगी जमा हो गई है। इस कारण मच्छर तेजी से पनप रहे हैं।

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