- कोरोना संकट के कारण राजनीतिक दलों ने भी चुनावी तैयारी की धीमी
भोपाल। मप्र में कोरोना का साया 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर मंडरा रहा है। राजधानी भोपाल सहित चुनाव वाले अधिकांश क्षेत्रों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अब अक्टूबर या नवंबर में ही उपचुनाव हो सकते हैं। मौजूदा परिस्थिति में सितंबर तक चुनाव हो पाना मुश्किल है। अगर नवंबर में उपचुनाव होते हैं तो गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट का मंत्री पद खतरे में पडृ सकता है। दरअसल, चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में अधिसूचना जारी होने के बाद एक माह से अधिक का समय लगता है। अभी चुनाव आयोग कोरोना संक्रमण की वजह से बने हालात के मद्देनजर चुनाव कराने संबंधी तमाम पहलुओं पर विचार कर रहा है। इसमें संक्रमण रोकने के लिए मतदान केंद्र बढ़ाने से लेकर एक बार इस्तेमाल की जाने वाले प्लास्टिक की स्टिक से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का बटन दबाने का विकल्प भी शामिल है। हालांकि, अभी तक किसी भी विकल्प पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
आयोग पहलुओं पर कर रहा विचार
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग के स्तर पर सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। पहली बार अलग तरह की स्थिति बनी है। यही वजह है कि जौरा और आगर विधानसभा सीट के रिक्त होने के छह माह बाद भी उपचुनाव नहीं कराए जा सके। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता है। आयोग सामान्य स्थितियों में सीट रिक्त होने के छह माह के भीतर उपचुनाव करा लेता है।
विशेष परिस्थिति में आगे बढ़ाए जा सकते हैं चुनाव
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि चुनाव में कब-क्या होगा, यह नियमों में स्पष्ट है। विशेष परिस्थिति में चुनाव स्थगित करने का प्रावधान संविधान और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में है। इसके तहत ही चुनाव आगे बढ़ाए गए हैं। जब परिस्थिति चुनाव कराने लायक होगी तो निश्चित तौर पर आयोग की प्राथमिकता चुनाव कराने की होगी। जहां तक बात बिना विधायक मंत्री बने नेताओं के कार्यकाल का है तो इससे चुनाव आयोग का कोई लेना-देना नहीं है। विशेष परिस्थिति में चुनाव आगे भी बढ़ाए जा सकते हैं। इस अधिकार का उपयोग करके ही जौरा और आगर विधानसभा के उपचुनाव आगामी आदेश तक के लिए स्थगित किए गए हैं। चुनाव की घोषणा के बाद जिस दिन अधिसूचना जारी होती है, उस दिन से चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में एक माह से अधिक का समय लगता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था। दो नवंबर को अधिसूचना जारी हुई थी और 11 दिसंबर को नतीजे आए थे।