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मप्रः जल का संरक्षण जीवन का भी संरक्षण है: ज्योतिरादित्य सिंधिया

केन्द्रीय मंत्री ने किया तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन का उद्घाटन

ग्वालियर। जल का संरक्षण केवल जल ही नहीं, जीवन का भी संरक्षण है। पानी की कमी चिंताजनक स्थिति में है। इसलिए सभी लोग जल संरक्षण का संकल्प लें। पानी बचाना केवल सरकार और किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं, यह सभी की सामूहिक जवाबदेही है।

यह बात केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) ने शुक्रवार से ग्वालियर में शुरू हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन (three day national water conference) के उदघाटन सत्र में कही। उन्होंने आह्वान किया कि जिस प्रकार हम सभी बचत कर बैंक का ऋण चुकाते हैं. उसी तरह आने वाली पीढ़ी के लिए पानी सहेजने का काम करें।


भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान में आयोजित पानी की विरासत बचाने पर केन्द्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन का केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम में प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट तथा देश में जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह मंचासीन थे। जल संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे देश के विभिन्न प्रांतों के जल योद्धा इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।

केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने उद्घाटन सत्र में ऋग्वेद की एक ऋचा का उदाहरण देते हुए कहा कि जल ही जीवनदायी शक्ति और ऊर्जा का स्रोत है। इसलिए जल का संरक्षण नहीं तो जीवन का भी संरक्षण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर इस सम्मेलन काआयोजन किया गया है। इसलिये हमें समझना चाहिए, यदि जल ही नहीं रहेगा तो हम अधिकार से भी वंचित रहेंगे। उन्होंने ग्वालियर रियासतकाल में जल संरक्षण व संवर्धन के लिये किए गए कामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां स्थित हरसी बांध आज भी एशिया का मिट्टी का सबसे बड़ा बांध है।

सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल के संरक्षण व संवर्धन को लेकर विशेष चिंतित रहते हैं। इसीलिए उन्होंने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। जिसके तहत हर घर में नल से पानी उपलब्ध कराने के साथ-साथ पानी को सहेजने के उपाय भी किए जा रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। लगभग 45 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट से खासकर बुन्देलखंड और उसके समीपवर्ती क्षेत्र में सिंचाई व पेयजल की समस्या के स्थायी निदान के साथ-साथ विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।

केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि वर्तमान में हम मात्र 8 प्रतिशत वर्षा जल का संग्रहण कर पाते हैं। हर साल प्रकृति एक हजार वर्ग फुट क्षेत्र में औसतन 75 हजार लीटर जल देती है, जो संरक्षण के अभाव में बह जाता है। हमें इस पानी को बचाने के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे अन्यथा आने वाले दिन अत्यंत कठिन होंगे।

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि पानी मानव जीवन के विकास की बुनियाद है। इसीलिए हर गाँव में तालाब हमारी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार जल के संरक्षण व संवर्धन के लिए कृत संकल्पित है। जल योद्धाओं और सम्पूर्ण समाज की भागीदारी से हम पानी को सहेजेंगे। उन्होंने कहा कि इस पुनीत कार्य में जुटे लोगों को प्रदेश सरकार से हर संभव सहायता मिलेगी।

जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत एक पानीदार देश है। अगर हम बेहतर ढंग से पानी का प्रबंधन कर लें तो भारत में कभी पानी का संकट नहीं आएगा। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने “वाटर लिटरेसी मूवमेंट” चलाने की जरूरत पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि हम अभी से सचेत होकर पानी बचाने के लिए आगे नहीं आए तो अफ्रीकन देशों की तरह भारत को भी भीषण जल संकट का सामना करना पड़ेगा।

राजेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें नदियों को नाला बनने से रोकना होगा। अर्थात नदियों को प्रदूषण से बचाना होगा। उन्होंने ग्वालियर क्षेत्र में जल संरक्षण की समृद्ध विरासत की सराहना करते हुए कहा, खुशी की बात है कि यहां पर आज भी यह विरासत जीवंत है। इसके लिए उन्होंने गोपाचल पर्वत के समीप स्थित जल संरक्षण संरचना का उदाहरण दिया।

कार्यक्रम में तमिलनाडु से जल यात्रा लेकर आए गुरूस्वामी, आंध्र प्रदेश से जल योद्धा सत्यनारायण पुलसेठी तथा मानपुर झांसी से जल सहेली गीता बहन ने भी पानी बचाने से संबंधित अपने अनुभव सुनाए। कार्यक्रम में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के निदेशक आलोक शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। केन्द्रीय मंत्री सिंधिया एवं अन्य अतिथियों ने “भारत की जल विरासतें” पुस्तक का विमोचन किया। साथ ही सर्वोदय जनकल्याण संस्था द्वारा तैयार वेबसाइट का शुभारंभ किया गया।

सभी जल योद्धाओं का होगा सम्मानः सिलावट
इस अवसर पर मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि पानी सहेजने के पुनीत उद्देश्य से राष्ट्रीय जल सम्मेलन में भाग लेने आए सभी जल योद्धाओं का मध्यप्रदेश शासन की ओर से सम्मान किया जाएगा।

सिंधिया ने मास्क भी बांटे
राष्ट्रीय जल सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर सिंधिया और सिलावट ने प्रतिभागियों को मास्क वितरित किए। साथ ही आह्वान किया कि कोविड-19 की तीसरी संभावित लहर को रोकने के लिए सभी लोग मास्क लगाएं। साथ ही प्रयास करें कि कोई भी टीकाकरण से वंचित न रहे। (एजेंसी, हि.स.)

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