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MP Election: बीजेपी-कांग्रेस ने पूरी तरह से सजा दिए अपने मोहरे, तीन सीटों पर फंसा पेंच

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections) के सियासी रण में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने अपने-अपने मोहरे पूरी तरह से सजा दिए हैं. सूबे की 230 विधानसभा सीटों (230 assembly seats) में से बीजेपी ने 228 उम्मीदवारों (BJP 228 candidates) की सूची जारी की है, जबकि कांग्रेस ने 229 पर उम्मीदवार (Congress candidates on 229) घोषित कर दिए हैं. एक तरफ राज्य में अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए बीजेपी मैदान में ताल ठोक रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस सरकार गठन की कवायद में है।

सूबे की सियासी जंग में 3 सीटें ऐसी हैं जिनपर पेंच फंसा हुआ है. इनमें से केवल एक सीट पर कांग्रेस ने अभी उम्मीदवार नहीं उतरा है बाकी दो पर तो उतार दिया है, लेकिन बीजेपी ने इन तीन सीटों में से दो पर अभी तक उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।


मध्य प्रदेश के रण में ये सीटें सत्ता के शीर्ष पर बैठने वाले राजनेता से लेकर सरकार में शीर्ष नौकरशाह तक से जुड़ी हुई बताई जा रही हैं. आज हम विस्तार से बताते हैं उन तीन सीटों के बारे में जिन पर दोनों पार्टियों का पेंच फंसा है।

विदिशा सीट
राज्य की विदिशा सीट बेहद खास है. बीजेपी ने यहां से अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है जबकि कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक शशांक भार्गव को टिकट दिया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भार्गव ने यहां से जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार उनका मुकाबला यहां सूबे के मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान से हो सकता है।

इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी जल्द यहां से शिवराज सिंह चौहान के नाम का ऐलान कर सकती है. इसलिए इस सीट पर फिलहाल बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

गुना सीट
मध्य प्रदेश के रण में गुना विधानसभा सीट भी बेहद खास है, क्योंकि यह अनुचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. कांग्रेस ने यहां पहले ही अपने सैनिक पंकज कनेरिया को मैदान में उतार दिया है जबकि यहां से बीजेपी ने अभी तक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. खास बात यह है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर गोपीलाल जाटव ने यहां चुनाव जीता था।

कयास इस बात के हैं कि उन्हीं को टिकट दिया जाएगा,लेकिन फिलहाल राज्य की सभी सीटों में से केवल दो पर उम्मीदवारों की घोषणा बीजेपी की ओर से बाकी है. इनमें सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हैं. ऐसे में इस सीट पर जाटव को टिकट दिया जाए या शिवराज सिंह चौहान को, इस पर पार्टी मंथन कर रही है. बीजेपी के लिए यह सेफ सीट मानी जाती है इसलिए फिलहाल इस पर उम्मीदवार का चयन होल्ड पर रखा गया है।

आमला विधानसभा सीट
राज्य में जो तीसरी विधानसभा सीट सबसे खास है वह बैतूल जिले की आमला सीट है. बंगाली भाषा में आमला का मतलब नौकरशाह होता है और इस सीट का भी संबंध राज्य सरकार में एक सीनियर अधिकारी से है. दरअसल यहां से बीजेपी ने डॉक्टर योगेश पंडाग्रे को टिकट दे दिया है क्योंकि वह यहां से मौजूदा विधायक हैं. यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

इस सीट पर कांग्रेस की ओर से निशा बांगरे के चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा है. वह मध्य प्रदेश सरकार में अधिकारी हैं. उन्होंने अपना इस्तीफा भी दे डाला है, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है. इसलिए फिलहाल इस सीट पर भी पेंच फंसा हुआ है।

कांग्रेस को केवल इस सीट पर ही उम्मीदवार घोषित करने हैं इसलिए मध्य प्रदेश के रण की यह आखिरी सीट है जिस पर कांग्रेस ने अपने सियासी योद्धा का संकेत तो दे दिया है लेकिन घोषणा नहीं की है।

BJP ने दिया 37 विधायकों को टिकट
आपको बता दें कि कांग्रेस ने दो बार में 229 उम्मीदवारों की घोषणा की. दूसरी लिस्ट में पार्टी ने तीन उम्मीदवार भी बदले. जबकि बीजेपी ने पांच बार सूची जारी कर 228 उम्मीदवारों की घोषणा की है. इनमें से 67 मौजूदा विधायकों में से 37 को टिकट दिया गया है. इनमें तीन मंत्री हैं. बाकी लोगों का टिकट काटा है, जिसकी वजह से सूबे की सियासत में विद्रोह भड़का हुआ है।

कांग्रेस में भी टिकट नहीं मिलने से उम्मीदवारों में भारी नाराजगी है और लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसे में चुनावी रण में दोनों पार्टियों एक तरफ एक दूसरे के सामने तलवारें खींचकर खड़ी हैं तो दूसरी ओर पार्टी के अंदर खाने भी विद्रोह से निपटना बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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