भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सभी सरकारी अस्पतालों (Government hospitals) में अब भर्ती कोरोना मरीजों (Admitted corona patients) से उनके परिजन आसानी से बात कर सकेंगे. इसके लिए सरकार(Government) हर सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में संवाद सेतु हेल्प डेस्क (Samvad Setu Help Desk) शुरू कर रही है.
अभी अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल-चाल उनके परिजन को पता नहीं चलता है. अस्पतालों में अपने मरीज से मिलने के लिए लगातार परिजन स्टाफ से भी विवाद करते हैं. अभी सिर्फ अपने मोबाइल फोन पर बातचीत और वीडियो कॉलिंग के जरिए हाल-चाल जान सकते हैं, लेकिन हर मरीज इस सुविधा से जुड़ा नहीं है. गंभीर मरीज भी इसके लिए तैयार नहीं रहते हैं. ऐसे में सरकार ने संवाद सेतु नाम से एक हेल्प डेस्क शुरु की है.
ऐसे काम करेगी डेस्क
अभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों से परिजन की बातचीत का कोई भी विकल्प नहीं है. इसलिए संवाद सेतु हेल्प डेस्क के जरिए भर्ती कोरोना मरीज के परिजन अस्पताल परिसर में हेल्प डेस्क पर जाकर बातचीत कर सकते हैं. इसके लिए डेस्क पर मौजूद कर्मचारी टेबलेट और फोन के जरिए उस मरीज की बातचीत परिसर के अंदर मौजूद परिजन से ऑनलाइन कराएंगे. बकायदा कर्मचारी डेस्क पर मौजूद परिजन की ऑनलाइन बातचीत वार्ड में भर्ती मरीज से कराएंगे. इसके लिए एक टाइम ड्यूरेशन रहेगा. पहले परिजन को हेल्प डेस्क पर अपनी और मरीज की जानकारी देनी होगी.
2 महीने के लिए की जा रही व्यवस्था
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं. एनएचएम ने कहा है कि मौजूदा दौर में लगातार बढ़ रहे कोविड मामलों के कारण अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों की भीड़ लगी रहती है. ऐसे में भर्ती मरीजों की स्थिति जानने और वार्ड में भर्ती मरीजों को अपने परिजनों से बातचीत करने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय परिसर में 2 महीने के लिए संवाद सेतु नाम से हेल्प डेस्क स्थापित की जानी है.
जिलों में बजट का आवंटन किया गया
NHM के आदेश के अनुसार, जिला स्तर पर संवाद सेतु नाम से हेल्पडेस्क खोली जाएगी. जिले में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी इस हेल्पडेस्क में पदस्थ किए जाएंगे. इसके अलावा हेल्प डेस्क के लिए लॉजिस्टिक की व्यवस्था भी बजट में की गई है. इसमें तीन टैब, तीन सिम कार्ड, रिचार्ज, मासिक किराया, टेंट, बैनर, 10-15 कुर्सियां, पोर्टेबल माइक और स्पीकर, आवश्यकतानुसार कूलर पंखे, सैनिटाइजर, सैनिटाइजर ऑपरेटर, मास्क, ग्लब्स, फेस शील्ड, बिजली की उपलब्धता, हेल्प डेस्क के स्टाफ के हिसाब से टेबल कुर्सी की व्यवस्था की जानी है. शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए संभागीय मुख्यालयों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन 50000 रुपए प्रति हेल्प डेस्क के आधार पर दी गई है. इसके अलावा 41 जिलों में 40000 रुपए प्रति हेल्प डेस्क के अनुसार राशि का आवंटन कर दिया गया है.