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मप्रः कोविड से अनाथ हुए बच्चों से बोले शिवराज- आप आगे बढ़ें, हर कदम पर हम आपके साथ

– मुख्यमंत्री ने कोविड से अनाथ हुए बच्चों से किया आत्मीय संवाद

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास में कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों के साथ दीपावली मनाई। इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने अनेक बच्चों से आत्मीय संवाद किया। उन्होंने कहा कि आपके हौसले की मैं दाद देता हूं। आप आगे बढ़ें, हर कदम पर हम आपके साथ हैं।

चौहान ने कहा कि आपके लिये संरक्षण निधि के रूप में प्रतिमाह 5 हजार रुपये की व्यवस्था की गई। आपकी पढ़ाई में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। उन्होंने बच्चों से कहा कि आपको आगे बढ़ना है। लक्ष्य तय करें, क्या बनना है मुख्यमंत्री ने बच्चों से आत्मीयतापूर्वक बातचीत की। उन्हें स्नेह के साथ आशीर्वाद दिया। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा चिंतित न हों मामा आपके साथ हैं। आपकी देखरेख में कोई कमी नहीं रहेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह भी उपस्थित रहीं।

चौहान ने मुख्यमंत्री निवास में आमंत्रित बच्चों के पास जाकर उनका हालचाल पूछा। उन्हें हौसले के साथ अध्ययन में जुटे रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पुलिस में 30 प्रतिशत स्थान बेटियों के लिए हैं। आपका परिश्रम आपको हर क्षेत्र में सफलता दिलवाएगा। अधिकांश बच्चों ने सेना, पुलिस और चिकित्सा के क्षेत्र में सेवाएं देने की इच्छा जताई। इन बच्चों में निकिता, आशीष यादव, आयुष और माही शामिल हैं।

बच्चों को सुनाईं तीन प्रेरक कहानियां
मुख्यमंत्री चौहान ने कोरोना में मां-बाप को खोने वाले बच्चों को तीन प्रेरक कहानियां भी सुनाई। इनमें गुरू द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करते हुए शिष्य अर्जुन की कही गई बात, महात्मा गांधी से मां और बच्चे की बातचीत और युधिष्ठिर द्वारा गुरू से प्राप्त शिक्षा पर अमल की कथाएं शामिल हैं।

कहानी एक- चौहान ने बच्चों को बताया कि कौरव-पाण्डव गुरू द्रोणाचार्य के पास तीरंदाजी की शिक्षा ले रहे थे। गुरू का इम्तिहान लेने का तरीका भी अपने ढंग का था। उन्होंने एक पेड़ पर बैठी चिड़िया दिखाते हुए विद्यार्थियों से कहा कि आपको इस चिड़िया की आंख पर निशाना साधकर लक्ष्य भेदना है। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों से एक-एक करके यह पूछा कि आपको सामने क्या दिखाई दे रहा है। दुर्योधन, दुशासन, नकुल, सहदेव और अन्य शिष्यों ने कहा कि उन्हें पेड़ दिखाई दे रहा, पत्ते दिखाई दे रहे, फूल दिखाई दे रहे हैं। लेकिन अर्जुन से जब पूछा गया कि आपको क्या दिखाई दे रहा है, तो अर्जुन का उत्तर था मुझे चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इस कहानी का सार है कि हमें सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान रखना है।

कहानी दो- मुख्यमंत्री ने बच्चों को बताया कि एक बार गांधी जी के पास एक माता अपने बच्चे को लेकर पहुंची थी। माता का कहना था कि यह बच्चा बहुत ज्यादा गुड़ खाता है, कृपया आप इसे समझाइश दें कि इतना गुड़ न खाया करे। गांधी जी ने पहले दिन कोई समझाइश नहीं दी। यह क्रम तीन-चार दिन चला। इसके बाद माता के आग्रह पर गांधी जी ने बच्चे को समझाया कि ज्यादा गुड़ खाना उचित नहीं है। बच्चे की माता जी ने गांधी जी से पूछा कि आप यह बात तो पहले दिन भी समझा सकते थे, फिर आपने चार दिन बाद ही यह बात क्यों समझाई? गांधी जी का उत्तर था कि पहले दिन में बच्चे को यह कहने का अधिकार नहीं रखता था कि गुड़ मत खाओ। इसकी वजह थी कि मैं खुद भी प्रतिदिन गुड़ खाता हूं। अब यदि बच्चे को यह बात समझाता हूं तो पहले उस पर खुद अमल करूं तभी किसी को कह सकूंगा कि प्रतिदिन गुड़ मत खाया करो। कहानी का सार यह है कि किसी को कोई बात कहें तो पहले स्वयं उस पर अमल करना सीखें।

कहानी तीन- चौहान ने बच्चों को तीसरी कहानी सुनाते हुए बताया कि एक बार युधिष्ठिर “सदा सच बोलो” शीर्षक का पाठ याद नहीं कर पाए थे। युधिष्ठिर से उनके गुरू ने पूछा कि यह पाठ कल याद करके आना। कई दिन बीत गए युधिष्ठिर पाठ याद नहीं कर सके। इसके बाद गुरूजी नाराज हो गए और युधिष्ठिर से पूछा कि आप यह पाठ याद क्यों नहीं कर पा रहे? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि प्रतिदिन कुछ कहता था तो कोई न कोई असत्य उस बात में आ जाता था। जब आपने “सदा सच बोलो” नामक पाठ याद करने को कहा तो इसका अर्थ था कि ऐसा करके भी दिखाना है। यदि मैं सत्य नहीं कह पा रहा तो फिर कैसे मान लिया जाए कि मुझे पाठ याद है। इस कहानी का सार यह है कि जीवन में जो भी शिक्षा ग्रहण करें उस पर अमल भी करें।

बच्चों ने जलाए दीप
मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना के हितग्राही बच्चों ने मुख्यमंत्री शिवराज और साधना सिंह के साथ दीपक एवं मोमबत्तियां जलाकर दीपों का त्योहार मनाया। मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों का पुष्पों से स्वागत किया। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए स्वागत से बच्चे बहुत खुश थे। कोरोना के कारण अपने परिवार में आई विपत्ति को भूलकर वे मुख्यमंत्री के साथ उनके परिवार के सदस्य की तरह दीप पर्व में शामिल हुए। (एजेंसी, हि.स.)

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