भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मप्र कम पानी लेने पर राजी होगा, तभी आगे बढ़ेगी केन-बेतना लिंक परियोजना!

  • केंद्र का झुकाव उप्र की ओर, छह साल से बैठकों का दौर

भोपाल। मप्र एवं उप्र के सबसे सूखाग्रस्त एवं आर्थिक रूप से कमजोर इलाके बुंदेलखंड की प्यास बुझाने एवं हरा-भरा करने वाली केन-बेतबा लिंक परियोजना पिछले 15 साल से सिर्फ कागजों में ही अटकी हुई है। 2005 में परियोजना को लेकर केंद्र, राज्य एवं उप्र के बीच हुए एमओयू के बाद से अभी तक सिर्फ बैठकों का दौर जारी है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद परियोजना को लेकर सक्रियता बढ़ाई गई्र, लेकिन उप्र ने अपने हिस्से के लिए ज्यादा पानी की मांग कर दी। अभी तक मप्र इसके लिए राजी नहीं है, लेकिन उप्र ज्यादा पानी देने की मांग पर अड़ा है। अब फिर बैठकों का दौर शुरू होने वाला है, यदि मप्र अपने हिस्से का पानी कम करने और उप्र को ज्यादा पानी देने पर राजी हुआ, तभी यह योजना आगे बढ़ पाएगी।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के संबंध में अगस्त 2005 में एमओयू हुआ था। इसके तहत 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार व्यय करेगी। राज्य सरकार का हिस्सा 10 प्रतिशत रहेगा। इस परियोजना से मप्र की 6.53 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। जिसमें केन बेसिन में 4.47 लाख हेक्टेयर मध्यप्रदेश का तथा 2.27 लाख हेक्टेयर उत्तरप्रदेश का कृषि योग्य सिंचित क्षेत्र लाभन्वित होगा। बेतवा बेसिन से मध्यप्रदेश के 2 लाख 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ मिलना है। एमओयू के तहत परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली का संपूर्ण उपयोग मध्यप्रदेश द्वारा किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत 35 हजार 111 करोड़ रूपये आंकलित की गई है। एमओयू के तहत उत्तरप्रदेश को केन कछार से 1700 मिलियन घन मीटर पानी आवंटित किया जाना है, एमओयू के तहत पानी आवंटिन पर दोनों राज्यों की सहमति थी। इसमें रबी सीजन के लिए 547 मिलियन घन मीटर तथा खरीफ सीजन में 1153 मिलियन घन मीटर जल का आवंटन होना था। इस बीच उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद केन-बेतवा परियोजना में पानी का हिस्सा बढ़ाने की मांग कर डाली।

उप्र की ओर केंद्र का झुकाव
उप्र की ज्यादा पानी देने की मांग पर मप्र अभी तक तैयार नहीं है। हालांकि केंद्र सरकार का झुकाव उप्र की ओर रहा है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में पूर्व केंद्रीय जल संसाधन मंत्री मंत्री के समन्वय में मप्र और उप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और योगी आदित्यनाथ एवं दोनों राज्यों के अफसरों की बैठक हो चुकी थी। पिछले कार्यकाल तक शिवराज सिंह चौहान ने दो टूक कहा कि मप्र अपने हिस्से का पानी कतई नहीं देगा। एमओयू के तहत ही दोनों राज्यों को पानी आवंटित होगा। बाद में कमलनाथ सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं थी। अब फिर से मप्र में भाजपा की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री है। अब केंद्र ने एक बार फिर केन-बेतवा परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए दोनों राज्यों से समन्वय शुरू कर दिया है। जिसके तहत जल्द ही इसको लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री, जल संसाधन मंत्री एवं विभागीय अधिकारियों की बैठक होने वाली है। इस परियोजना को लेकर सबसे अहम बात यह होगी कि उप्र अपनी मांग पूरी करने में सफल होता या फिर मप्र अपने हिस्से का पानी बचाने में सफल होता है।

उप्र में बढ़ाई 142 मिलियन घन मीटर पानी की मांग
भारत सरकार द्वारा परियोजना के सीजनल जल आवंटन के लिए अप्रैल 2018 में आयोजित बैठक में मप्र द्वारा रबी सीजन में सिंचाई एवं पीने के पानी के लिए बांध से 547 मिलियन घन मीटर के स्थान पर 700 मिलियन घन मीटर पानी उत्तर प्रदेश को आवंटित करने पर सहमति दी थी, लेकिन केंद्र द्वारा उप्र को 788 मिलियन घन मीटर पानी आवंटित किया गया। उप्र द्वारा जुलाई 2019 में पुन: मांग बढ़ा कर 930 मिलियन घन मीटर आवंटन का अनुरोध किया गया है। भारत सरकार द्वारा नवंबर से मई तक की जल आवश्यकता की तर्कसंगता जांचने का दायित्व राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को सौंपा गया है।

इनका कहना
केन बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना प्रदेश के पिछड़े और सूखाग्रस्त क्षेत्रों को सिंचित करने और पेयजल उपलब्ध कराने की दृष्टि से महत्वाकांक्षी योजना है। परियोजना के संबंध में जल्दही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री से मुलाकात होगी। परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आज दूरभाष पर चर्चा हुई है। जल्द ही उप्र के जल संसाधन मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह मध्य प्रदेश आएंगे।
वराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मप्र

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