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Navratri History & Culture : शारदीय नवरात्रि में जरूरी करें ये पांच काम

उज्‍जैन (Ujjain)। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का इतंजार हर देवी भक्तों को बड़े ही बेसब्री से रहता है। इस साल नवरात्रि शुरू होने में अब बस चंद दिन ही बाकी है। नवरात्र के पूरे 9 दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि (Shardiya Navratri) के दौरान देवी मां के मंदिरों से लेकर घरों तक में माता रानी की विधिपूर्वक उपासना की जाती है।चारों तरफ देवी मां के भजनों और जयकारों की गूंज सुनाई देती है। वरात्रि के इन नौ दिनों को धार्मिक दृष्टि से बेहद ही शुभ माना गया है। 9 दिनों तक मां दुर्गा के भक्त उपवास रखते हुए मां कीआराधना , पूजा-पाठ और मंत्रों का जाप करते हैं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति की विशेष पूजा करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है और दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।



शारदीय नवरात्रि 2023 कब से होगी शुरू?
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ- 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 25 मिनट से शुरू
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 16 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 13 मिनट पर समाप्त
शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि कलश-स्थापना मुहूर्त- 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
अवधि- केवल 46 मिनट

लोक मान्यता है कि नवरात्रि में व्रत रखने और दुर्गा पूजा करने से मातारानी का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. लेकिन आपको जानना चाहिए कि ऐसे 5 काम हैं, जिनके बिना नवरात्रि अधूरी होती है, मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो सकता है और न ही आपका किया गया व्रत फलित होगा.

शारदीय नवरात्रि में जरूरी करें ये 5 काम

1. दुर्गा आह्वान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा नवरात्रि के प्रथम दिन कैलाश से अपने वाहन पर सवार होकर परिवार के साथ धरती पर आती हैं. यदि आप नवरात्रि का व्रत रखते हैं तो आपको पूजा से पूर्व मां दुर्गा का आह्वान करना चाहिए, उनका स्वागत करना चाहिए. आह्वान का अर्थ है कि आप किसी विशेष सिद्धि या उद्देश्य से मातारानी को अपने यहां बुला रहे हैं. उनको आने का निमंत्रण दे रहे हैं. कहा जाता है ​कि बिना निमंत्रण के किसी के घर नहीं जाना चाहिए.

2. कलश स्थापना
यदि आप 9 दिन का व्रत रखते हैं या पहले और अष्टमी का व्रत रखते हैं तो आपको कलश स्थापना करनी चाहिए. देवी पुराण के अनुसार, मां भगवती की पूजा से पहले कलश स्थापना जरूरी है. पूजा के समय कलश को देवी की शक्ति और तीर्थस्थान के प्रतीक के रूप में स्थापित करते हैं. कलश को वैभव, सुख-समृद्धि आदि का प्रतीक मानते हैं. कलश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव और दैवीय मातृ शक्तियों का वास होता है.

3. कन्या पूजा
कन्या पूजा के बिना नवरात्रि अपूर्ण मानी जाती है. दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा करते हैं. कन्याओं को माता दुर्गा का स्वरूप मानते हैं. इस वजह से नवरात्रि में 1 से लेकर 9 कन्याओं की पूजा कर सकते हैं. इसमें आप 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं को शामिल कर सकते हैं. कन्या पूजा करने से सभी प्रकार के सुख, वैभव, समृद्धि की प्राप्ति होती है.

4. नवरात्रि हवन
नवरात्रि में हवन का भी महत्व है. इसके बिना पूजा पूर्ण नहीं होगी. हवन के समय आप जिन सामग्री से आहुति देते हैं, वे नवग्रह, देवी और देवताओं को प्राप्त होते हैं. उससे प्रसन्न होकर वे आपके उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होते हैं. हवन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.

5. नारी का सम्मान
नवरात्रि में मां दुर्गा और कन्या की पूजा करते हैं. मां दुर्गा स्वयं आदिशक्ति हैं, वही प्रकृति हैं, उनसे ही इस पूरी सृष्टि का सृजन है. वे ही प्राण वायु हैं. उनसे ही शिव पूर्ण होते हैं, तभी तो शिव-शक्ति की परिकल्पना साकार होती है. वे अर्द्धनारीश्वर कहलाते हैं. नवरात्रि नारी के सम्मान का पर्व है. यदि आप मां, बहन, पत्नी, बेटी या अन्य महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं तो नवरात्रि का व्रत और दुर्गा पूजा आपके लिए ​फलित नहीं होगा.

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