इंदौर न्यूज़ (Indore News)

बढ़ते अपराध रोकने के लिए इंदौर को जानने वाले पुराने अधिकारियों की जरूरत

  • कमिश्नरी तो लागू हुई, लेकिन शहर की नस से वाकिफ रहने वाले अधिकारी दूसरे शहरों में पदस्थ हो गए

इंदौर (Indore)। शहर में बढ़ते अपराधों को लेकर पुलिस कमिश्नरी लागू हुई, लेकिन अपराधों पर लगाम नहीं लगी। नाइट कल्चर को बदनाम करने के साथ-साथ अपराधी अब सरेराह वारदात कर रहे हैं। इन्हीं वारदातों के चलते शहर में कई हत्याएं हो चुकी हैं। एक सवाल पुलिस के खुफिया तंत्र पर भी खड़ा हो रहा है। पुलिस के इस तंत्र के कमजोर होने के कारण अधिकारियों तक शहर में घूम रहे बदमाशों की जानकारी ही नहीं पहुंच पाती है।

पहले शहर में पुलिस अधिकारियों का अपना एक अलग ही खुफिया तंत्र होता था, जिसके माध्यम से अपराधियों की जानकारी रखी जाती थी। शहर में जब हत्या और चोरी, लूट जैसी वारदातें बढ़ रही थीं, उसी दौरान मुख्यमंत्री ने इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नरी लागू करने का फैसला किया था, लेकिन इस फैसले के बाद भी इंदौर जैसे शहर में अपराध बेलगाम होते जा रहे हैं।


इसका सबसे बड़ा कारण थानों पर पदस्थ थाना प्रभारियों का नया होना है। दूसरा, उनके ऊपर जो अधिकारी हैं उन्हें भी शहर की जानकारी नहीं है। इस मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने पत्र लिखा है, जिसमें इंदौर का पूरा पुलिस स्टाफ नया होने की बात लिखी है और कहा है कि ये शहर से अनजान हैं, इसी कारण ये शहर का माहौल समझ नहीं पा रहे हैं। अधिकारियों के पदों पर भी आईएएस और पीएससी के अधिकारी हैं। अगर मैदानी अमले में ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति की जाए, जो अपराधियों की नस-नस से वाकिफ हैं तो अपराधों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

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