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नीट-जेईई को राजनीतिक ‘परीक्षा’ न बनाए विपक्ष

– डॉ. रमेश ठाकुर

देश की बड़ी परीक्षाओं में शामिल नीट-जेईई का भी सियासीकरण हो गया। दो बार यह निरस्त हो चुकी है। तीसरी बार भी संकट के बादल छाए हैं। नीट के आयोजन को लेकर केंद्र सरकार और विपक्षी दलों में तनातनी है। इससे पक्ष-विपक्ष को कितना फायदा होगा, ये नहीं पता लेकिन लाखों छात्रों का भविष्य जरूर दांव पर लग गया है। नीट पर हो रही राजनीति से छात्र, अभिभावक, परिजन व शिक्षक बेहद चिंतित हैं। जबकि, ऐसा होना नहीं चाहिए। छात्र ही हमारे और देश के लिए कल के विधाता हैं। इसलिए नेताओं को अपनी राजनीति चमकाने के लिए उनके भविष्य को दांव पर नहीं लगाना चाहिए।

विपक्षी दल अड़ंगा लगाए हुए कि जेईई-नीट परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। निश्चित रूप से विपक्षी दलों का जेईई-नीट परीक्षाओं का विरोध तर्कहीन लगता है। आईआईटी और मेडिकल काॅलेजों में दाखिला लेने के लिए छात्र लंबे समय से मेहनत कर जेईई-नीट जैसी परीक्षाओं में शामिल होते हैं। लेकिन उनके सपनों पर इसबार ग्रहण लगता दिख रहा है, जो विपक्ष की गंदी राजनीति की वजह से होता दिख रहा है।

देश में प्रत्येक मसले पर राजनीति का चलन शुरू हो गया है। राजनीति होनी भी चाहिए लेकिन शिक्षा जैसे क्षेत्रों को इससे दूर रखना चाहिए क्योंकि ये युवाओं के भविष्य से जुड़ा है। इसकी भी परवाह न करते हुए, कांग्रेस की जेईई-नीट परीक्षाओं को रद्द करने की मांग बेतुकी है। जबकि, दो बार परीक्षा इन्हीं कारणों से टाली जा चुकी है। सभी जानते हैं कि कोरोनाकाल में बंदी जैसे हालात हैं। बावजूद इसके सतर्कता बरतते हुए सभी जरूरी काम संचालित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बीएड की परीक्षाएं हुई, जबकि उसका भी भारी विरोध हुआ। अंततः परीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न हुई। राजनीतिक काम भी जारी हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ हो रही हैं। रेल, हवाई जहाज, पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि संचालित हो रहे हैं।

अनलाॅक-4 की प्रक्रिया में बंद सभी प्रतिष्ठान भी शुरू होने वाले हैं। फिर जेईई-नीट परीक्षाओं का विरोध क्यों? स्कूल, काॅलेजों व अन्य शिक्षण संस्थाओं में ऑनलाइन और वर्चुअल क्लासेज, इग्जाम कराए जा रहे हैं। कायदे से सोचने की जरूरत है कि जब इनका विरोध नहीं हो रहा है तो जेईई-नीट का विरोध क्यों? गौर इस बात पर किया जाना चाहिए कि जेईई-नीट परीक्षा अगर तीसरी बार भी टलती है तो निश्चित रूप से छात्रों का पूरा साल बर्बाद हो जाएगा। विरोध करने वाले शायद ये नहीं जानते कि जेईई-नीट परीक्षाओं की तैयारियों के लिए छात्र कितनी मेहनत करते हैं, कितना धन खर्च करते हैं। कोचिंग आदि में लाखों रुपए खर्च करते हैं। उनके अभिभावक कैसे पैसों का इंतजाम करते हैं, इसकी परवाह उनको कतई नहीं? केंद्र सरकार को जेईई-नीट परीक्षाओं को कराने के लिए बोल्ड फैसला लेना चाहिए, विपक्षी दलों के विरोध को दरकिनार करते हुए छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर जेईई-नीट का नोटिफिकेशन जारी कर देना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे सुप्रीम कोर्ट ने किया।

जेईई-नीट परीक्षाओं को निरस्त करने के लिए बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में एकाध याचिकाएं दायर हुईं। कोर्ट ने छात्रों की मेहनत को ध्यान में रखते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया। जेईई-नीट परीक्षाओं को अगले माह यानी सितंबर में आयोजित कराने की तैयारियां हो रही हैं। हालांकि कांग्रेस का जेईई परीक्षाओं का भारी विरोध जारी है। देशव्यापी प्रदर्शन करने की धमकी दी हुई है। इसके लिए कांग्रेस ने अपने सत्तारूढ़ राज्य सरकारों और प्रत्येक जिला मुख्यालयों को अलर्ट जारी किया हुआ है। कांग्रेस ने अब ऑनलाइन क्लासेज का भी विरोध करने का मन बनाया है, इसके लिए बड़ा अभियान चलाएगी। सुप्रीम कोर्ट जाने का भी मन बनाया है। जेईई-नीट का विरोध खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कर रही हैं, इसके लिए उन्होंने हाल ही में गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बैठक की। सभी से आग्रह किया कि वह नीट और जेईई की परीक्षा टालने की मांग करें। उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए सभी मुख्यमंत्रियों ने तय किया है कि वे सितंबर में प्रस्तावित नीट और जेईई परीक्षा के खिलाफ सामूहिक रूप से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

कुछ मुख्यमंत्री इस विरोध के पक्ष में नहीं है। पंजाब के कुछ नेता चाहते हैं कि सितंबर में परीक्षाएं आयोजित हों। कुछ और काँग्रेसी नेता अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार के साथ हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी का जेईई-नीट परीक्षाओं के विरोध से किरकिरी हो रही है। देश का तकरीबन हर वर्ग परीक्षाओं के पक्ष में हैं। वह इसलिए कि प्रत्येक दसवें परिवार से एक बच्चा इस परीक्षा की तैयारी कर रहा है।

प्रत्येक अभिभावक का सपना होता है कि उनका बेटा या बेटी मेडिकल काॅलेज या आईआईटी में जाए। इसलिए हमें उनके सपनों को तोड़ने का कोई हक नहीं। कोरोना काल में जैसे दूसरे कार्य संपन्न हो रहे हैं, वैसे ही ये परीक्षाएं भी निपट जाएंगी। समय की मांग यही है कि केंद्र सरकार किसी की परवाह किए बिना नीट और जेईई की परीक्षाएं आयोजित कराए। मुट्ठीभर लोगों के विरोध के आगे हजारों-लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। विपक्ष को भी सोचना चाहिए कि सियासत के लिए तमाम मसले-मुद्दे हैं उन्हें जनहित के लिए बुलंद करने की जरूरत है। उन्हें बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर अपना विरोध तत्काल वापस लेना चाहिए।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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