इंदौर न्यूज़ (Indore News)

न स्टेशन का नाम टंट्या मामा हुआ न ही चौराहे का नाम बदला, सभी जगह पुराने नामों से ही पहचाने जा रहे हैं स्थान

रेलवे अधिकारियों को ही नहीं मालूम कि प्रक्रिया कहां तक पहुंची? बोले- बोर्ड से ही होता है फैसला, जब आदेश आएंगे तब शुरू हो जाएगी आगे की प्रक्रिया
इंदौर।  मुख्यमंत्री (Chief Minister) द्वारा पातालपानी रेलवे स्टेशन (Patalpani Railway Station) और भंवरकुआं चौराहे (Bhanwarkuan Crossroads) का नाम टंट्या मामा (Tantya Mama) के नाम से करने की घोषणा किए पूरा सवा महीना हो गया है, लेकिन अभी तक दोनों स्थानों के नाम को लेकर औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। रेलवे स्टेशन (Railway Station) का नाम बदलने की फाइल कहां पड़ी है, यह भी अधिकारियों को नहीं मालूम?


भगवान बिरसा मुंडा (Bhagwan Birsa Munda) की जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने इंदौर के भंवरकुआं चौराहे, पातालपानी रेलवे स्टेशन और निर्माणाधीन बस स्टैंड (Bus Stand) का नाम टंट्या मामा के नाम से करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह घोषणा अमल में नहीं आ पाई। भंवरकुआं चौराहे पर एक ओर तो बोर्ड लगाकर रख दिया गया है, लेकिन अभी तक न तो यहां का नाम बदला गया है और न ही बसों या अन्य स्थानों पर इस चौराहे के नाम बदले गए हैं। यहां तक कि निगम द्वारा लगाई गई जेन्ट्री, आईबस स्टैंड, पुलिस थाना और अन्य स्थानों पर भी पुराने नाम ही चल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पातालपानी रेलवे स्टेशन के मामले में भी ऐसा ही है। अभी तक स्टेशन का नाम बदलने की कवायद शुरू नहीं की गई है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह घोषणा राज्य शासन ने की थी, इसलिए वे ही रेलवे को प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे। इस मामले में रेलवे प्रवक्ता खेमराज मीणा ने कहा कि अभी रेलवे के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है। सवा महीने का समय बीत जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। रेलवे बोर्ड (Railway Board) में प्रस्ताव आने के बाद विचार किया जाता है और उसके बाद उसका नोटिफिकेशन (Notification) होता है। जैसे ही नोटिफिकेशन होगा, उसकी जानकारी मिलते ही नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, क्योंकि रेलवे को स्टेशन का नाम बदलने के साथ-साथ अपने कम्प्यूटर साफ्टवेयर और अन्य जगह भी नाम बदलना पड़ते हैं। टाइम टेबल में भी स्टेशन का नाम बदला जाता है। हालांकि वे इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि हबीबगंज (Habibganj) जैसे स्टेशन का नाम एक दिन में ही कमलापति (Kamlapati ) कर दिया गया, वहीं इंटरस्टेट बस टर्मिनल का काम अभी चल ही रहा है और जब वह शुरू होगा, तब टंट्या मामा के नाम से ही शुरू होगा।

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