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नवजात तस्करों के नेटवर्क का खुलासा, दिल्‍ली में मासूमों की खरीद-फरोख्त का चल रहा था धंधा

नई दिल्‍ली (New Delhi)। सीबीआई ने देश (Country)में नवजातों की खरीद-फरोख्त (trading of newborns)में शामिल तस्करों के नेटवर्क का सनसनीखेज खुलासा(sensational revelation) किया है। इस अभियान के तहत सीबीआई ने दिल्ली(CBI Delhi) और हरियाणा (Haryana)में सात स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान डेढ़ दिन और 15 दिन के दो शिशुओं (लड़के) तथा एक महीने की एक बच्ची को जांच एजेंसी ने बचाया। मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

तलाशी अभियान के दौरान साढ़े पांच लाख रुपये नकद और अन्य दस्तावेज सहित आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद की गई हैं। सीबीआई ने आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों एवं किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल व संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत 10 आरोपियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया है।

सीबीआई की अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी फेसबुक पेज और वॉट्सऐप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर विज्ञापन के माध्यम से बच्चे गोद लेने के इच्छुक निसंतान दंपतियों से जुड़ते थे। आरोपी कथित तौर पर वास्तविक माता-पिता के साथ-साथ सेरोगेट माताओं से भी नवजात बच्चे खरीदते थे। इन नवजात बच्चों को चार से छह लाख रुपये में बेच दिया जाता था। जांच से जुड़े सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, एजेंसी की गिरफ्त में आए आरोपी बच्चों को गोद लेने से संबंधित फर्जी दस्तावेज तैयार कराते थे। आरोपी कई निसंतान दंपतियों से लाखों रुपये की ठगी करने में भी संलिप्त हैं।


निर्ममता : रोने की आवाज न आए इसलिए तेज संगीत चलाती थी महिला

केशवपुरम में रहने वाली आरोपी पूजा कश्यप का तलाक हो चुका है। वह दो बच्चों के साथ नारंग कॉलोनी के एक मकान की चौथी मंजिल पर किराये पर रहती है। मकान मालिक सत्यप्रकाश ने बताया कि वह बीते साल अगस्त में यहां रहने के लिए आई थी। उन्होंने स्थानीय पुलिस थाने से किरायेदार का सत्यापन भी कराया था। पुलिस के अनुसार, बच्चों के रोने की आवाज बाहर न आए इसलिए आरोपी महिला तेज संगीत बजाती थी।

केशवपुरम में बना रखा था ठिकाना

सीबीआई की जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने बच्चों को रखने के लिए केशवपुरम में ठिकाना बना रखा था। यहां से गिरफ्तार महिला अपने घर पर आईवीएफ सेंटर से लाए गए शिशुओं को रखती थी। इसके एवज में वह एक शिशु को रखने के लिए पांच सौ रुपये प्रतिदिन लेती थी।

पुलिस के अनुसार, खरीदार मिलने तक बच्चे को केशवपुरम में रखा जाता था। सौदा तय होने पर गिरोह के सदस्य शिशुओं को बेचने के लिए ले जाते थे। सीबीआई ने शुक्रवार देर रात छापे के दौरान इस महिला के घर से दो शिशुओं को भी बरामद किया है। छापे के दौरान मौजूद रहे पुलिसकर्मी ने बताया कि महिला को एक शिशु को रखने के लिए पांच सौ रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जाता था। सीबीआई द्वारा बरामद शिशु दो दिन से 15 दिन की उम्र के हैं। यह महिला शिशुओं को पटेल नगर स्थित आईवीएफ सेंटर से लेकर आई थी। सीबीआई ने इस आईवीएफ सेंटर पर भी छापा मारकर वहां से कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं।

देर रात लौटती थी घर

केशवपुरम में रहने वाली पूजा कश्यप के पड़ोसियों ने बताया कि वह रोजाना सुबह घर से निकल जाती थी और देर शाम लौटती थी। यह परिवार आसपास के लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं करता था। घर में शिशुओं के होने का पता इमारत में रहने वाले अन्य लोगों को भी नहीं चल पाया था। इस मकान में रहने वाले एक किरायेदार ने बताया कि कभी-कभी इनके घर से टीवी रेडियो की तेज आवाज आती थी। आशंका जताई जा रही है कि बच्चों के रोने की आवाज किसी को सुनाई न दे इसलिए ऐसा किया जाता था।

सात आरोपियों से पूछताछ जारी

सूत्रों ने बताया कि इस मामले में अब तक कई बच्चों को पहले भी बेचने की बात सामने आई है। इस गिरोह के तार दिल्ली से हरियाणा तक जुड़े हुए हैं। सीबीआई का मानना है कि जल्द ही कुछ अन्य गिरफ्तारियां हो सकती हैं। फिलहाल गिरफ्तार किए गए सात आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। अपराध की पूरी जानकारी के लिए उनका आमना-सामना भी करवाया जा रहा है।

दिल्ली-एनसीआर से हुई सभी गिरफ्तारी

सीबीआई ने इस मामले में पूजा कश्यप के अलावा छह अन्य लोगों को दिल्ली-एनसीआर से गिरफ्तार किया है। इसमें सोनीपत निवासी नीरज, पश्चिम विहार निवासी इंदू पंवार, पटेल नगर निवासी असलम, कराला निवासी रितू, मालवीय नगर से अंजलि और कविता शामिल हैं। इसमें सभी की भूमिका अलग अलग है। फिलहाल सीबीआई ने इनके बारे में जानकारी साझा नहीं की है। इनकी भूमिका को लेकर सीबीआई द्वारा भी जानकारी जुटाई जा रही हैं। मामले में और भी बड़ा खुलासा हो सकता है।

जांच में सरोगेसी का मामला सामने आया

अभी तक की जांच के अनुसार, यह गिरोह आईवीएफ के माध्यम से युवतियों को गर्भधारण कराता था। फिर इन शिशुओं को चार से छह लाख रुपये में जरूरतमंदों को बेचता था। इसके अलावा गरीब माता-पिता से उनके बच्चों को खरीदा जाता था। अस्पताल से भी बच्चे चोरी किए जाने की बात भी सामने आई है। यह गिरोह सोशल मीडिया के जरिये अपना विज्ञापन देकर देशभर से लोगों को आकर्षित करता था। फिर बच्चों को गोद देने का फर्जी कागजात भी बनाकर सौंपता था।

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