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‘कोई भी शब्द बैन नहीं हुआ है’ – स्पीकर ओम बिरला


नई दिल्ली । ‘असंसदीय शब्दों’ को लेकर मचे बवाल पर (On the Ruckus Over ‘Unparliamentary Words’) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Speaker Om Birla) ने कहा कि कोई भी शब्द बैन नहीं हुआ है (‘No Word has been Banned’) । उन्होंने कहा, “किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।” कार्यवाही से हटाए जाने वाले शब्दों के चयन को लेकर विवाद पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह 1959 से जारी एक नियमित प्रथा है।


संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर नई गाइडलाइंस जारी हुई हैं। लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों की लिस्ट तैयार की है, जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है। इसको लेकर विपक्ष के हंगामें के बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शब्दों पर बैन नहीं लगाया गया है, केवल असंसदीय घोषित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के जरिए रोक नहीं लगाई गई है, प्रक्रिया के तहत ये फैसला लिया गया है।

गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर नई गाइडलाइंस जारी हुई हैं। इसके तहत दोनों सदनों में कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले सांसद चर्चा में के दौरान जुमलाजीवी, कोरोना स्प्रेडर, जयचंद और भ्रष्ट जैसे आम इस्तेमाल के शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं। इन शब्दों के अलावा संसद में निशाना साधने के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द जैसे बाल बुद्धि, स्नूपगेट के प्रयोग पर भी रोक रहेगी। यहां तक कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शर्म, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, ड्रामा, पाखंड और अक्षम जैसे शब्द अब लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय माने जाएंगे। इनके शब्दों के अलावा शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिट्ठू जैसे आदि शब्दों का भी दोनों सदनों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नई बुकलेट के अनुसार, ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा और ये सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि ये प्रक्रिया काफी लंबे समय से चली आ रही है। 1954 से असंसदीय शब्दों को हटाने के प्रक्रिया चल रही है। पहले इस तरह के असंसदीय शब्दों की एक किताब का विमोचन किया जाता था, हमने सिर्फ कागजों की बर्बादी से बचने के लिए इसे इंटरनेट पर डाल दिया है। किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हमने संसदीय कार्यवादी से हटा दिए गए शब्दों का संकलन जारी किया है।

 

विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ‘क्या उन्होंने (विपक्ष) 1100 पन्नों की इस डिक्शनरी (असंसदीय शब्दों को मिलाकर) को पढ़ा है, अगर वे इसे पढ़ते तो गलतफहमियां नहीं फैलाते। यह 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी किया गया है। 2010 से सालाना आधार पर ये डिक्शनरी रिलीज हो रही है।’

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह भी कहा कि बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार कोई नहीं छीन सकता। विपक्ष से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि देश में इसका भ्रामक प्रचार नहीं किया जाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह भी कहा कि जिन शब्दों को हटा दिया गया है, वे विपक्ष के साथ-साथ सत्ताधारी पार्टी द्वारा भी संसद में कहे या उपयोग किए गए हैं। केवल विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों का चयन करके नहीं हटाया गया है। कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी।

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