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15 हजार करोड़ रुपए के जीएसटी फर्जीवाड़े में 3 और जालसाजों को गिरफ्तार किया नोएडा पुलिस ने


नोएडा । 15 हजार करोड़ रुपए के जीएसटी फर्जीवाड़े में (In GST Forgery of Rs. 15 Thousand Crores) नोएडा पुलिस (Noida Police) ने 3 और जालसाजों (3 More Fraudsters) को गिरफ्तार किया (Arrested) । इनके कब्जे से फर्जी टैक्स इनवाइस दस्तावेज, 6 जीएसटी फर्म के ऑनलाइन दस्तावेज, 3 मोबाइल फोन, डीएल, पैन कार्ड, 2 आधार कार्ड, दो लग्जरी कार व 42 हजार रुपए नकद बरामद किए गए हैं।इससे पहले पुलिस इस गिरोह के सरगना समेत 12 लोगो को गिरफ्तार कर चुकी है। अब तक कुल 15 गिरफ्तारी हुई है, लेकिन फिलहाल यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है।


इस गिरोह के फ्रॉड करने वाले सदस्यों की संख्या काफी बड़ी है। देखना होगा कि आगे अभी कितने लोग और पकड़े जाएंगे और कितने हजार करोड़ का जीएसटी स्कैम और खुलता चला जाएगा । नोएडा कमिश्नरेट पुलिस ने 1 जून को 2660 फर्जी कंपनी बना जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराकर 15 हजार करोड़ से अधिक का फ्रॉड करने वाले एक अंतरराज्यीय रैकेट का खुलासा किया था। इन जालसाज़ ने पिछले पांच साल से फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी रिफंड आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगाया था। पुलिस ने इस गिरोह में शामिल महिला समेत आठ जालसाज़ को गिरफ्तार कर लिया था।मामले में नोएडा पुलिस के साथ राज्य व केंद्र की जीएसटी टीम भी जांच कर रही है।

इन 8 लोगों के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने इस मामले में 4 लोगो को एक बार और फिर 23 जून को 3 लोगो को गिरफ्तार किया है।अपर आयुक्त ग्रेड-2 (विशेष अनुसंधान शाखा) राज्यकर नोएडा राजाराम गुप्ता ने बताया कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में ऐसी व्यवस्था बनाई गई है, जिसमें पहले भुगतान किए गए जीएसटी के बदले में आपको क्रेडिट मिल जाते हैं। ये क्रेडिट आपके जीएसटी अकाउंट में दर्ज हो जाते हैं।उन्होंने कहा कि फर्जी कंपनियों द्वारा वास्तविक माल का आदान प्रदान नहीं किया जाता है। बल्कि जाली बिल पर करोड़ों रुपए का लेनदेन दिखाया जाता है। सभी बिल फर्जी होते हैं।

कंपनियां एक दूसरे से फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का आदान प्रदान करती हैं।व्यापार दिखाने वाली अंतिम फर्म सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड का दावा कर देती  है। रिफंड के तौर पर कंपनी के खाते में सरकार रुपया जमा कर देती है। इसमें कोई व्यापार नहीं हुआ जबकि सरकार से करोड़ों रुपए इनपुट टैक्स क्रेडिट के बदले लेकर कंपनी चूना लगाती है।

जीएसटी कमिश्नर ने बताया कि जीएसटी फ्रॉड जो करता है वह बड़ी संख्या में झुग्गी झोपड़ी गरीब बस्तियों में रहने वाले गरीबों को किसी भी सरकारी योजना या अन्य किसी योजना के नाम पर कुछ पैसे उनके अकाउंट में डाल कर उनका आधार कार्ड अपने कब्जे में ले लेता है।जब यह गरीबों को पैसे देते हैं तब उनसे उनके आधार नंबर से अपना मोबाइल नंबर लिंक करवा लेते हैं। इसके बाद तुरंत एक नया पैन कार्ड अप्लाई किया जाता है। और फिर उससे आधार और पैन कार्ड के नंबर पर फर्जी बोगस कंपनियां रजिस्टर्ड कराई जाती है। जो बाद में लोगों को जीएसटी बिल बनाने के नाम पर देने के काम आती है।इसी तरीके से जीएसटी का यह बड़ा फ्रॉड किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि आधार यूनिवर्सल आईडी है और एक बार मोबाइल नंबर बदल जाने के बाद उस आधार नंबर पर जो भी एक्टिविटी होगी वह इसी गिरोह के मोबाइल नंबर पर दर्ज होगी।जब किसी व्यक्ति का आधार और पैन कार्ड इनके पास आ जाता है तो उस पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन का काम किया जाता है और उसके सर यह टेक्स एंड वाइस जनरेट होता है और टैक्स इनवॉइस पूरी तरीके से किसी करेंसी से कम नहीं होता है।

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