मामला प्रगति पार्क का… कलेक्टर के आदेश पर मौके पर एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी पहुंचे
इंदौर। पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने बढिय़ाकीमा (Bhiyakima) की लगभग 60 एकड़ जमीन पर काटी गई अवैध प्रगति पार्क (Pragati Park) के कालोनाइजर के खिलाफ जांच आदेश जारी करते हुए संबंधित एसडीएम से दो माह में जांच (Investigation) प्रतिवेदन मांगा। नतीजतन कल एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी की टीम मौका-मुआयना करने पहुंची और निर्मित तथा कुछ निर्माणाधीन रसूखदारों के बंगलों की जानकारी भी ली। दरअसल, 40-40 हजार स्क्वेयर फीट के बड़े भूखंड काटकर सीधे किसानों से ही उनकी रजिस्ट्रियां करवा दी गईं, जिसके चलते कुछ किसानों ने अपने बयान भी प्रशासन के समक्ष दर्ज करवाए, जिसमें उन्होंने कहा कि इस अवैध कालोनी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने तो अनुबंध के आधार पर कांग्रेस नेता संघवी के कहने पर जमीन की रजिस्ट्रियां करवाई थी।
नगर निगम (Municipal Corporation) पूर्व में भिचौली मर्दाना ( Bhicholi Mardana) और भिचौली हप्सी (Bhicholi Hupsi) में निर्मित कालोनियों को भी अवैध घोषित कर चुका है, जिसमें चर्चित प्रगति विहार के साथ प्रगति ग्रीन शामिल रही, वहीं पंचायत क्षेत्र में आने वाली बढिय़ाकीमा प्रगति पार्क की भी जांच प्रशासन ने शुरू करवा दी। सर्वे नं. 62, 63, 73, 78, 79 से लेकर 96 और 101 के 21 खसरा नम्बरों पर यह कॉलोनी काटी गई। दरअसल वर्षों पूर्व प्रगति विहार की तर्ज पर ही 40-40 हजार स्क्वेयर फीट तक के बड़े भूखंडों पर रसूखदारों के लिए ये कालोनी काटी, जिसमें बगीचे के साथ-साथ अन्य मूलभूत सुविधाओं की जमीनें नहीं छोड़ी और सिर्फ सडक़ ही निर्मित की गई और उसकी जमीनें भी स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए गृह निर्माण संस्थाओं में शामिल कर ली गई। इस तरह का काम प्रगति विहार में हुआ, जहां पर ऋषभ गृह निर्माण संस्था में सडक़ की जमीनें शामिल कर ली गईं, वहीं कलेक्टर मनीष सिंह ने तहसील भिचौली हप्सी के ग्राम बढिय़ाकीमा की प्रगति पार्क के कालोनाइजर के खिलाफ भी जांच शुरू की। प्राप्त शिकायतों के आधार पर कलेक्टर न्यायालय में एसडीओ को जांच आदेश जारी किए और दो माह में प्रतिवेदन मांगा। नतीजतन कल एसडीओ शाश्वत शर्मा और तहसीलदार जयेश प्रताप सिंह और पटवारी मौके पर पहुंचे और काबिज भूखंडधारकों की जानकारी लेना शुरू की। मौके पर सेवानिवृत्त आला अफसरों के भी कुछ बंगले बने हैं, तो कुछ भूखंड अन्य रसूखदारों और बड़े कारोबारियों के भी हैं। इस पर आलीशान कोठियां निर्मित हैं और कुछ निर्माणाधीन भी हैं। ऐसे 22 भूखंडधारकों को प्रशासन ने नोटिस जारी कर उनसे जानकारी मांगी है, वहीं किसानों ने अपने बयानों में बताया कि उक्त जमीनों की रजिस्ट्रियां अनुबंध के बाद कांग्रेस नेता सुरेन्द्र संघवी के कहे मुताबिक द्वारा कराई गईं। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा कृषि भूमि की रजिस्ट्रियां कराई गई और कालोनियों के प्रावधानों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। और हम किसानों को कानूनों की कोई जानकारी नहीं है। प्रशासन द्वारा बंसीलाल पिता लक्ष्मीनारायण, बालाराम पिता राम पिता बालाराम और मनोहर पिता लक्ष्मीनारायण निवासी पीपल्याहाना के अलावा स्व. भगवान चौधरी तर्फे पुत्र मांगीलाल, कैलाश चौधरी, स्व. जसोदाबाई पति स्व. भेरूलाल खाती तर्फे वारिस गोपाल चौधरी के बयानों के आधार पर अवैध कालोनी की कार्रवाई कर रही है।
अनुसूचित आयोग को जवाब देने कलेक्टर दिल्ली पहुंचे
पातालपानी क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन बिक्री के मामले में एक शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग दिल्ली को की गई है, जिसका जांच प्रतिवेदन लेकर आज कलेक्टर मनीष सिंह दिल्ली पहुंचे हैं। शिकायत में उक्त जमीन वन विभाग की भी बताई गई। हालांकि प्रशासन का कहना है कि मिसल बंदोबस्त और अन्य राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक उक्त जमीन निजी के रूप में ही दर्ज है। मगर चूंकि आयोग ने प्रकरण दर्ज कर प्रशासन से जवाब मांगा, जिसके चलते पूर्व में एडीएम पवन जैन और फिर आज कलेक्टर को जाना पड़ा। पिछले दिनों ही इंदौर के हर्ष चौहान को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।