इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अब चुनावी पट्टों की भी बंटेगी खैरात – ग्रामीण क्षेत्रों में 600 स्क्वेयर फीट के भूखंड, तो शहरों में गरीबों को मिलेंगे फ्लैट

  • तीन तरह की योजनाओं पर होगा अमल, जरूरत पडऩे पर निजी जमीनें भी खरीदकर पट्टे बांटेगी शिवराज सरकार

इंदौर (Indore)। अभी विधानसभा चुनाव (assembly elections) के चलते समाज के हर तबके को जमकर खैरातेें बांटी जा रही है। यह बात अलग है कि सरकारी खजाना (public treasury) खाली है और हजारों करोड़ के लगातार लोन लिए जा रहे हैं। लाडली बहना जैसी योजना का ढोल जोर-शोर से बज ही रहा है, तो अब पट्टों की भी खैरात बंटेगी। इसके लिए तीन तरह की योजनाएं अमल में लाई जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में 600 स्क्वेयर फीट तक के भूखंड, तो शहरी क्षेत्रों में बनाई जाने वाली बहुमंजिला इमारतों में गरीबों को फ्लेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तो कोई कसर छोडऩा भी नहीं चाहते, जिसके चलते उन्होंने यह तक घोषणा कर दी है कि जरूरत पड़ी तो शहरों में निजी जमीनें खरीदकर पट्टे बांटे जा सकते हैं। नगर निगम ने हालांकि 10 हजार से अधिक फ्लेट आवासहीन परिवारों के लिए तैयार कर रखे हैं।

एक तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ये फ्लेट दिए जा रहे हैं, तो उसके साथ धारणाधिकार, मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार, वहीं माफियाओं के कब्जों से छुड़वाई गई जमीनों पर भी गरीबों के मकान बनवाए जाएंगे, जिसे सुराज कालोनी नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश के हर आवासहीन गरीब व्यक्ति को पट्टा देकर मालिक बनाया जाएगा। गांवों में उपलब्ध सरकारी जमीनों पर ये पट्टे दिए जाएंगे। अभी पिछले दिनों धारणाधिकार नियमों में शासन ने संशोधन भी किया है, जिस पर इंदौर सहित प्रदेशभर में सरकारी जमीनों पर काबिज लोगों को मालिकाना हक दिया जाएगा।


पहले शहरी क्षेत्र में 5 फीसदी प्रीमियम की राशि लेकर लीज का प्रावधान था, मगर अब उसे घटाकर 1 फीसदी करने का निर्णय लिया गया, तो दूसरी तरफ पूर्व में 31 दिसम्बर 2014 की डेड लाइन तय की गई थी, उसे अब 31 दिसम्बर 2020 कर दिया है। यानी इसके पूर्व तक जो लोग काबिज हैं उन्हें इसका लाभ मिलेगा। धारणाधिकार-पत्र के लिए भी कलेक्ट्रेट में संबंधित एसडीएम के समक्ष आवेदन करना होगा, जो कि ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी किया जा सकेगा। वहीं आवश्यक दस्तावेज, जिसमें आधार नंबर, पते का प्रमाण, सम्पत्ति कर की रसीद, मतदाता सूची में नाम, बिजली-नल बिल या इस तरह के मान्य दस्तावेज संलग्न किए जा सकेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 600 स्क्वेयर फीट का पट्टा और शहरी क्षेत्र में बहुमंजिला इमारत में फ्लेट दिए जाएंगे।

716 जमीन मालिकों को उपलब्ध कराए राजस्व रिकॉर्ड भी
एक तरफ राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत ई-खसरा परियोजना लागू की गई है, जिसके चलते खाते की नकल, खेत का नक्शा सहित अन्य जानकारी वेबसाइट पर नि:शुल्क देखी जा सकती है। वहीं कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी के मुताबिक राजस्व न्यायालयों में प्रचलित प्रकरण, जिनमें रिकॉर्ड संशोधन, नामांतरण, बंटवारे के संबंध में जो भी आदेश पारित किए जाते हैं उनका अमल खसरे में करवाते हुए संबंधित किसानों व जमीन मालिकों को खसरे की प्रति उपलब्ध कराई जा रही है। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर के मुताबिक अभी 716 किसानों को आदेश अमल दरामद कर खसरा नकल प्रदान की गई है, जिसमें सर्वाधिक 140 किसान महू के हैं।

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