इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अब कोई नहीं बनना चाहता सरकारी डाक्टर…

4632 डॉक्टरों के पद सरकारी अस्पतालों में पड़े हैं खाली… 68 फीसदी तो विशेषज्ञों के ही टोटे
निजी अस्पतालों के साथ प्रैक्टिस में मिलता है भरपूर पैसा
इंदौर।  धड़ल्ले से निजी अस्पतालों (Private Hospitals) के साथ-साथ जांच केन्द्र (Center) खुल गए हैं, जिसके चलते सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) में डॉक्टरों (Doctors) के टोटे पड़े हैं। हर नए डॉक्टर को भविष्य में अपना नर्सिंग होम (Nursing Homes) खोलना रहता है, जिसके चलते वह निजी प्रैक्टिस (Private Practice) के साथ प्रतिष्ठित नर्सिंग होम में अपनी सेवाएं देता है और ऊपरी कमीशन भी भरपूर मिलता है। ऐसे में सरकारी नौकरी (Government Jobs) का झंझट कौन पाले।


अभी आई एक रिपोर्ट यह खुलासा करती है कि इंदौर सहित मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 50 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं, जिनमें सर्वाधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है, जिनके 3618 पद मंजूर हैं और मात्र 1147 पद ही भरे हैं और 2471 खाली पड़े हैं, जो कि 68 फीसदी से ज्यादा होती है। इसी तरह मेडिकल ऑफिसरों का भी टोटा है। 5097 स्वीकृत पदों के विरूद्ध 3378 पद ही भरे हैं और 1719 खाली पड़े हैं, तो सबसे अधिक कमी डेंटिस्ट यानी दांतों के डॉक्टरों की है। इनके तो 78 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं। प्रदेशभर में 561 डेंटिस्टों के पद मंजूर किए गए हैं। इनकी तुलना में मात्र 119 डेंटिस्ट ही सरकारी नौकरी कर रहे हैं और 442 पद खाली हैं। शासन लगातार विज्ञापन भर्तियों के लिए दे रहा है और उम्र की सीमा भी बढ़ा दी। वेतन सहित अन्य सुविधाओं में भी विगत वर्षों की तुलना में इजाफा किया गया। बावजूद इसके सरकारी नौकरी करने में डॉक्टरों की कोई रुचि नहीं है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी सेवाएं देना पड़ती है और कोई भी डॉक्टर गांवों में नौकरी नहीं करना चाहता, चूंकि शहर में ही उन्हें भरपूर पैसा मिल जाता है। जिस तरह धीरे-धीरे कर सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को बर्बाद किया गया, ताकि निजी स्कूलों और अस्पतालों को बढ़ावा मिले, उसी का परिणाम है कि अब प्रोफेशनल्स लोग सरकार को कई पदों के लिए नहीं मिलते, क्योंकि निजी क्षेत्र में उन्हें कई गुना अधिक पैसा और सुविधाएं मिलती है।

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