- मप्र में ग्राम समितियों को सौंपी गई जिम्मेदारी
भोपाल। गर्मी में तापमान बढऩे से जंगल में अग्निकांड की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसे लेकर वन अफसरों की चिंताएं बढऩे लगी हैं। आग बुझाने में वनकर्मियों को काफी दिक्कतें भी आ रही है। बीच का रास्ता निकलते हुए वन विभाग ग्रामीणों की मदद लेने जा रहा है, क्योंकि कई बार आग बुझाने के लिए जंगल मे पानी की व्यवस्था नही होती है। यहां तक घटना स्थल तक पहुंचने में वनकर्मियों को समय लग जाता है। यही वजह है कि वन ग्राम समितियों को आग बुझाने की जिम्मेदारी सौपी गई है। प्रत्येक रेंज को अपने-अपने दायरे में आने वाली वन समिति से संपर्क कर दस-दस ग्रामीणों की टीम बनाने के निर्देश दिए हैं।
15 मार्च से लेकर अब तक प्रदेशभर के जंगलों में लगभग 200 -250 आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें 800 से 900 हेक्टेयर जंगल में नुकसान हुआ है। वहीं अधिकारी आग लगने से कम नुकसानी बताने में लगे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर अवैध कटाई के स्थानों पर आग लगी है। वहीं तीन-चार साल पहले जिन वन क्षेत्रों में पौधे लगाए हैं, वे भी आग की भेंट चढ़ गए हैं। जंगल में आग लगने की घटना की जानकारी फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की वेबसाइट के माध्यम से वन कर्मियों से लेकर वन अफसरों तक पहुंचती है। आग लगने से महज दो से तीन मिनट में सैटेलाइट के माध्यम से मैसेज बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर , एसडीओ , डीएफओ और सीसीएफ़ तक को मिलते हैं। मगर आग बुझाने में कई बार देरी हो जाती है। इसके चलते आग विकराल रूप ले लेती है, जिससे जंगल को खासा नुकसान होता है।
जंगल में हर जगह पानी नहीं मिलता
वनकर्मियों के मुताबिक, आग बुझाने के लिए प्रत्येक रेंज में पर्याप्त उपकरण भी नहीं हैं। यहां तक कि जंगल में हर जगह पानी भी उपलब्ध नहीं रहता है। पानी के टैंकर भी वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। इन दिक्कतों को दूर करते हुए विभाग ने वन समितियों की मदद लेने का फैसला किया है। ग्रामीणों की टीम तैयार कर आग बुझाने में मदद ली जा सके। अधिकारी के मुताबिक, फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से प्राप्त मैसेज को तुरंत संबंधित वन समिति के सदस्य को मैसेज देंगे और फिर समिति में आने वाली टीम को मौके पर पहुंचकर वनकर्मियों के साथ आग बुझानी होगी।
ग्रामीणों को देंगे मानदेय
अधिकारियों ने बताया कि जंगल में पानी की उपलब्धता गर्मी में कम रहती है। यहां तक कि टैंकर भी हर स्थान पर आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं । इसलिए इस कार्य से वन समिति को जोड़ा गया है। ग्रामीणों को मानदेय की व्यवस्था भी रहेगी। प्रत्येक रेंज को अपनी अपनी समितियों में बने दल के सदस्यों को आग बुझाने का प्रशिक्षण भी देना होगा।