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अब सुरक्षित रहेंगी आपकी निजी जानकारियां! सरकार लाई डिजिटल पर्सनल डेटा बिल

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा बिल 2022 का ड्राफ्ट पेश कर दिया है. इस अधिनियम का उद्देश्य डिजिटल पर्सनल डेटा से संबंधित रेगुलेशन प्रदान करना है. यह व्यक्तियों के अपने पर्सनल डेटा की रक्षा करने के अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने की आवश्यकता, दोनों को मान्यता देता है.

बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस ड्राफ्ट में कुछ सबसे उल्लेखनीय बदलाव सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी कंपनियों के इर्द-गिर्द हैं. डिजिटल पर्सनल डेटा बिल में कहा गया है कि डेटा एकत्र करने वाली कंपनी को पर्सनल डेटा को बनाए रखना बंद कर देना चाहिए, या उन साधनों को हटा देना चाहिए, जिनके द्वारा पर्सनल डेटा को किसी विशेष डेटा से जोड़ा जा सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा को रखा नहीं जाना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मांगे सुझाव
केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज ट्वीट किया, “डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे पर आपके विचार जानना चाहते हैं.” बता दें कि पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल इस साल की शुरुआत में संसदीय मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था. अब मंत्रालय ने इसका नाम बदलकर ‘पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ कर दिया है, जो पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर जोर देता है.


डेटा मालिक को मिलेगा पूरा अधिकार
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को अपने डेटा पर पूर्ण अधिकार देता है. यहां तक ​​कि अगर किसी नियोक्ता कंपनी को अपने कर्मचारी की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक डेटा की जरूरत है तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति लेनी होगी.

नया बिल KYC डेटा को भी प्रभावित करेगा. हर बार सेविंग अकाउंट खोलने के लिए केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रतिबंध की आवश्यकता होती है. इस प्रक्रिया के तहत एकत्र किया गया डेटा भी नए बिल के दायरे में आता है. बैंक को खाता बंद करने के 6 महीने से अधिक की अवधि के लिए केवाईसी डेटा बनाए रखना होगा.

बच्चों के पर्सनल डेटा को एकत्र करने और बनाए रखने के लिए नियमों का एक नया सेट भी है. डेटा मांगने वाली कंपनी को डेटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति की आवश्यकता होगी. सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टार्गेट किए गए विज्ञापनों के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है.

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