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NSA बैठक: अरिंदम बागची बोले- अफगानिस्तान के मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं चीन और पाक

अफगानिस्तान (Afghnistan) को लेकर भारत की मेजबानी में दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता सम्मन हुई. इस वार्ता में भारत, रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों के संभावित प्रसार पर चिंता जताई. बैठक के बार में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि इस बैठक के लिए 7 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या सुरक्षा परिषद के सचिव दिल्ली पहुंचे थे. जहां इस नेताओं के बीच सुरक्षा हालात और मानवीय मदद पहुंचाने समेत अनेक मुद्दों पर बात हुई.

बागची ने बताया कि बैठक में भाग लेने के लिए चीन और पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया गया था. लेकिन वह इस बैठक में शामिल नहीं हुए. उन्होंने कहा कि चीन के प्रतिनिधि किस अन्य बैठक में जाते हैं इस बारे में हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. लेकिन भारत में हुई महत्वपूर्ण बैठक में इन देशों के प्रतिनिधियों का ना आना बताता है कि अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर उनकी गंभीरता क्या है.

पीएम ने चार पहलुओं पर दिया विशेष बल
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार और आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल करने के खिलाफ ‘‘शून्य सहिष्णुता’’ की नीति पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया. पीएमओ ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान के संदर्भ में चार पहलुओं पर विशेष बल दिया जिन पर इस क्षेत्र के देशों को अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी. इनमें एक समावेशी सरकार की आवश्यकता, आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र का इस्‍तेमाल किए जाने के बारे में ‘जीरो-टॉलरेंस’ रुख अपनाना, अफगानिस्तान से मादक द्रव्यों एवं हथियारों की तस्करी की समस्‍या से निपटने की रणनीति अपनाना और अफगानिस्तान में तेजी से गहराते गंभीर मानवीय संकट को सुलझाना।’’ प्रधानमंत्री ने यह भी उम्‍मीद जताई, ‘‘क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद मध्य एशिया की संयम एवं प्रगतिशील संस्कृति की परंपराओं में नई जान फूंकने और चरमपंथी प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने में कारगर साबित होगा.’’

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पीएम ने की अधिकारियों की भागीदारी की सराहना
पीएमओ ने कहा कि संवाद में शामिल देशों ने प्रधानमंत्री से अपनी बातचीत के दौरान इस आयोजन के लिए भारत द्वारा पहल किए जाने और विचार-विमर्श के ‘‘अत्‍यंत सकारात्‍मक’’ रहने की भूरि-भूरि प्रशंसा की. प्रधानमंत्री ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद दिल्ली सुरक्षा संवाद में वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी की सराहना की.

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