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स्थानीय चुनावों में OBC रिजर्वेशन, सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने पर विचार कर रहा केंद्र

नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) ने स्थानीय चुनावों में अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के रिजर्वेशन के मामले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक समीक्षा याचिका दायर करने की योजना बनाई है. सोमवार रात जारी एक बयान में सरकार ने कहा कि जब तक सभी राज्य सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करते, तब तक स्थानीय निकायों और नगर निगमों में अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) को राजनीतिक आरक्षण दिया जाए.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सोमवार को अपने बयान में कहा, ‘सरकार स्थानीय निकायों/नगर निगमों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण की अनुमति देने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक समीक्षा याचिका दायर करने पर विचार कर रही है.’ मंत्रालय ने कहा कि वह इस संबंध में कानून मंत्रालय और पंचायती राज, संसदीय मामलों और गृह मंत्रालयों सहित अन्य हितधारकों से सलाह ले रहा है.

आरक्षण नीति का पालन करने की दी गई सलाह
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए तय किए गए 27 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र ने यह बात कही. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सोमवार देर रात जारी एक बयान में कहा, ‘इस संबंध में राज्यों को संविधान के प्रावधानों के मुताबिक स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित सभी मानदंडों का पालन कर आरक्षण नीति का पालन करने की सलाह दी गई है.’


मंत्रालय ने कहा कि वह स्थानीय निकायों और नगर निगमों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण (Political Reservation) की अनुमति देने के लिए कोर्ट के समक्ष एक समीक्षा याचिका दायर करने पर भी विचार कर रहा है, जब तक कि राज्य शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित त्रि-स्तरीय प्रक्रिया मानदंडों का पालन नहीं करते हैं. इन मानदंडों में, राज्य में स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति एवं निहितार्थ की समसामयिक व्यापक जांच के लिए एक आयोग की स्थापना करना शामिल है.

आरक्षित सीटों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक नहीं
दूसरे चरण में, इस आयोग की सिफारिशों के अनुसार स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना है. तीसरी शर्त यह है अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या कुल संख्या का 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. केंद्र ने कहा कि वह इस मामले को लेकर गंभीर है और पंचायती राज मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग और गृह मंत्रालय सहित सभी हितधारकों की राय को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर गौर कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों महाराष्ट्र के राज्य चुनाव आयोग (EC) को स्थानीय निकाय में 27 प्रतिशत सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया था जो ओबीसी के लिए आरक्षित थीं. इसके बाद न्यायालय ने मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया रोकने और उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए फिर से अधिसूचित करने का राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने सोमवार को दावा किया था कि अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव राज्य की लगभग 70 प्रतिशत आबादी के साथ अन्याय होगा.

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