भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सरकारी कार्यक्रमों में नेताओं को बुलाने को लेकर Officer Confused

  • भाजपा के पूर्व विधायक को नहीं बुलाने पर पड़ी फटकार, कांग्रेस विधायक को बुलाकर भी लौटाया

भोपाल। सरकारी कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग की स्पष्ट गाइडलाइन (Guideline) है, इसके बावजूद भी जनप्रतिनिधियों को बुलाने में अधिकारियों पर भेदभाव के आरोप लगते रहते हैं। अधिकारी हमेशा कन्फ्यूज (Confuse) रहते हैं कि कार्यक्रम में किसे नेता केा बुलाया जाए अथवा किसे नहीं बुलाया जाए। ताजा मामला भोपाल (Bhopal) एवं इंदौर (Indore) में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आयोजित हुए दो बड़े कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को बुलाने का है। भोपाल में भाजपा के पूर्व विधायक को नहीं बुलाने पर अफसरों को फटकार मिली है। जबकि इंदौर में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुलाकर भी लौटाने के मामले में कोई हलचल नहीं है।
राजधानी में दो दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कैलाश नाथ काटजू अस्पताल
(
Kailash Nath Katju Hospital) का लोकार्पण किया था। इस अस्पताल को नए सिरे से बनवाने में पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता उमाशंकर गुप्ता (Senior leader Umashankar Gupta) का प्रमुख योगदान रहा है। जब अस्पताल के लोकार्पण का समय आया तो अफसरों ने गुप्ता को न्यौता तक भी नहीं भेजा था। हालांकि इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा (PC Sharma) को जरूरत बुलाया गया था। सरकारी निमंत्रण पर शर्मा मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मंच पर भी पहुंचे। जब गुप्ता समर्थकों ने नहीं बुलान को लेकर नाराजगी जताई तब यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा। इसके बाद नगर निगम एवं जिला प्रशासन के अफसरों को फटकार मिली। हालांकि बताया गया कि स्थानीय भाजपा नेताओं (BJP Leaders) के दबाव में प्रशासन की ओर से गुप्ता को नहीं कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया।

पटवारी को फोन करके बुलाया और बाहर से लौटाया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को इंदौर प्रवास पर थे। वे विकास योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में प्रशासन ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों केा बुलाया। अपर कलेक्टर ने पटवारी को फोन करके समीक्षा बैठक में आमंत्रित किया था, लेकिन जब वह यहां आए तो पुलिस वालों ने यह कहकर लौटा दिया कि आपका नाम लिस्ट में नहीं है। उन्होंने इस पर दुख जताते हुए इसे इंदौर की जनता और लोकतंत्र का अपमान बताया। पटवारी ने उन्हें आमंत्रित करने वाले अफसर को यह सूचना दी, लेकिन पुलिस के आगे प्रशासन का अफसर भी कुछ नहीं कर पाए।

ऐसे मामले में अफसरों पर कार्रवाई तक होती है
दरअसल, विधायक सांसद सीधे तौर पर जनता के प्रतिनिधि होते हैं। प्रशासन उन्हें सरकारी कार्यक्रमों में जनता का प्रतिनिधि होने की हैसियत से बुलाती है,न कि किसी पार्टी का पदाधिकारी होने की हैसियत से। जनप्रतिनिधियों का उन्हें क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रमों में नहीं बुलाना सीधे तौर पर जनता का अपमान होता है। कई मामलों में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो जाता है। हालांकि भोपाल में पूर्व मंत्री उमांशकर गुप्ता को नहीं बुलाने पर अफसरों को फटकार मिल चुकी है, जबकि इंदौर में पटवारी को बुलाकर लौटाने के मामले में किसी से कोई पूछताछ तक नहीं की गई।

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