वाराणासी । उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) की रहने वाली कुसमावती देवी (Kusmavati Devi) अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं. लेकिन, वह आजकल काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल, वह हर रोज एक पाव से आधा किलोग्राम तक बालू (Sand) खा जाती हैं. अभी वह करीब 80 साल की हैं और 18 साल की उम्र से बालू खाते आ रही हैं.
क्यों खाती हैं बालू?
जब वह 18 साल की थीं, तब उन्हें एक वैद्य ने कंडे की राख खाने के लिए कहा था. बैद्य के कहने पर उन्होंने कंडे की राख खानी शुरू की थी, जो धीरे-धीरे बालू खाने की आदत में बदल गई है. वह बालू खाना उनकी रोज की दिनचर्या बन चुका है. वह एक बार के लिए नाश्ता छोड़ सकती हैं लेकिन समय से बालू जरूर खाती हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चे मना करते हैं लेकिन वह उनकी बात नहीं मानती हैं. वह अगर बालू नहीं खाती हैं तो उन्हें नींद नहीं आती है और बीमार हो जाती हैं. उनका कहना है कि वह अच्छी सेहत के लिए बालू खाती हैं.
किसी के भी कहने से बालू खाना नहीं छोड़ा
वह बालू को धुल करके खाने योग्य बनाती हैं. हालांकि, उनके बच्चे ऐसा करने से उन्हें मना करते हैं लेकिन वह किसी की नहीं सुनतीं. अपनी बालू खाने की जिद्द और आदत के आगे वह सभी की बातों को नजरअंदाज कर देती हैं. वह एक मुर्गी फार्म चलाती हैं और खेत में ही घर बनाकर रहती हैं.